जब चुनाव आते हैं तो प्रत्याशी जीतने के लिए क्या कुछ नहीं करते। लेकिन अब तकनीक का जमाना है रोज दुनिया में एक नई तकनीक सामने आ रही है। वहीं, एक तकनीक है एआई जो मनुष्य के जीवन को आसान भी बना रही है और मुश्किल भी। अब तो एआई का इस्तेमाल चुनावों में भी होने लगा है।
ऐसा ही एक मामला अमेरिका से सामने आया है यहां एफसीसी (FCC) ने वोटरों को फर्जी रोबोकॉल करने के लिए एक राजनीतिक सलाहकार पर छह मिलियन डॉलर यानी 50 करोड़ भारतीय रुपये का जुर्माना लगाया है। राजनीतिक सलाहकार क्रेमर ने जो बाइडन की आवाज को डीपफेक करने की बात स्वीकार कर ली है।
एफसीसी ने जांच के बाद लगाया जुर्माना
संघीय संचार आयोग (FCC) एक स्वतंत्र अमेरिकी सरकारी एजेंसी है जो संचार से जुड़े कानूनों और विनियमों को लागू करती है। एफसीसी ने जांच में पाया कि राजनीतिक सलाहकार स्टीव क्रेमर ने चुनावी गलत सूचना फैलाने के लिए एआई-जनरेटेड वॉयस-क्लोनिंग तकनीक और कॉलर आईडी स्पूफिंग का इस्तेमाल किया।
एफसीसी का कहना है कि यह कॉलर आईडी अधिनियम में सच्चाई का उल्लंघन करता है और क्रेमर को 30 दिनों के भीतर जारी जुर्माने का भुगतान करना होगा। यदि वह ऐसा करने में विफल रहता है, तो मामला अमेरिकी न्याय विभाग को सौंप दिया जाएगा।
फर्जी कॉल में भी राष्ट्रपति जो बाइजन की आवाज
फर्जी रोबोकॉल में राष्ट्रपति जो बाइडन की एआई-जनरेटेड आवाज का इस्तेमाल किया गया था, स्टीव क्रेमर द्वारा निर्देशित फर्जी रोबोकॉल में न्यू हैम्पशायर के मतदाताओं से राज्य के डेमोक्रेटिक प्राइमरी में मतदान करने से परहेज करने का आग्रह किया था और कहा कि आपका वोट नवंबर में मायने रखता है। कॉल में ऐसा लगता था जैसे राष्ट्रपति जो बाइडन बोल रहे हैं।
मतदाताओं को दिया जा रहा था झूठा सुझाव
राजनीतिक सलाहकार स्टीवन क्रेमर ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अभियानों की शुरुआत में जो बाइडन के चुनौती पेश करने वाले डीन फिलिप्स के लिए काम किया था, हालांकि फिलिप्स ने सार्वजनिक रूप से रोबोकॉल की निंदा की है। जांच 22 जनवरी, 2024 को शुरू की गई थी, जब न्यू हैम्पशायर के हजारों निवासियों को एक रोबोकॉल प्राप्त होने की रिपोर्ट सामने आई थी। जिसमें न्यू हैम्पशायर के मतदाताओं को नवंबर चुनाव के लिए अपने वोट को बचाने का आग्रह किया गया था, जिसमें झूठा सुझाव दिया गया था कि नवंबर में मतदान प्राथमिक मतदान से अधिक मायने रखता है।