दिल्ली में पेयजल संकट पर छिड़ी जुबानी जंग के बीच बड़ी मात्रा में पानी चोरी और बर्बादी का मामला सामने आया है। उपराज्यपाल कार्यालय की तरफ से बताया गया कि अकेले मूनक नहर में हरियाणा से पानी का करीब 18 फीसदी दिल्ली नहीं पहुंच रहा है। वहीं, दिल्ली में जल बोर्ड की पाइप लाइन में लीकेज से करीब 40 फीसदी पानी बेकार हो रहा है। सोमवार को राजनिवास में उपराज्यपाल वीके सक्सेना की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में ये आंकड़े सामने आए। उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार को व्यवस्था ठीक करने की नसीहत दी है। उधर, दिल्ली सरकार ने राजनिवास के आंकड़ों को भ्रामक बताया गया। मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि उपराज्यपाल बैठक का वीडियो सार्वजनिक करें। इससे असलियत सामने आ जाएगी।
इससे पहले राजनिवास में जलापूर्ति के मसले पर बुलाई गई बैठक में दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी व सौरभ भारद्वाज समेत मुख्य सचिव और दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ मौजूद रहे। इसमें बताया गया कि दिल्ली के नौ में से सात जल शोधन संयंत्रों में हरियाणा से मिलने वाले पानी के लिए मूनक नहर एक मुख्य स्रोत है। नहर का रखरखाव न होने से बड़ी मात्रा में पानी बर्बाद हो रहा है। अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान नहर से अनधिकृत रूप से पानी उठाते हुए देखा गया है। बैठक में इसकी तस्वीरें भी साझा कीं गई। इनमें दिल्ली में मुनक नहर के किनारे टैंकरों की लगीं कतारें अवैध रूप से पानी उठाते दिख रही है।
हरियाणा और दिल्ली के अधिकारियों ने किया था नहर का निरीक्षण
रविवार ऊपरी यमुना नदी बोर्ड (यूवाईआरबी) के अधिकारियों के एक दल ने दिल्ली और हरियाणा सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुनक नहर का निरीक्षण किया। इसमें देखा गया कि हरियाणा से नहर में पर्याप्त जलापूर्ति हो रही थी। हरियाणा ने मूनक नहर में 2,289 क्यूसेक पानी छोड़ा। जबकि काकोरी से तय कोटा 1050 क्यूसेक पानी की तुलना में 1161.084 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। काकोरी वह जगह है, जहां से पानी सीधे दिल्ली पहुंचता है। लेकिन दिल्ली के बवाना में मूनक नहर को 960.78 क्यूसेक पानी ही पहुंचा। रास्ते में करीब 200 क्यूसेक पानी गायब हो गया। यह कुल पानी का 18 प्रतिशत है। नियम के तहत यह आंकड़ा पांच प्रतिशत से कम होना चाहिए। अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले पांच जून को हुई बैठक में यूवाईआरबी ने दिल्ली सरकार को बताया था कि मुनक नहर से करीब 25 फीसदी पानी की बर्बादी हो रही है।
यमुना के जलाशय में गाद
दिल्ली में वजीराबाद जल शोधन संयंत्र को छोड़कर सभी संयंत्र अपनी क्षमता से अधिक काम कर रहे हैं। वजीराबाद संयंत्र यमुना में वजीराबाद बैराज के पीछे बने जलाशय से पानी लेता है। पिछले दस सालों में यहां से गाद नहीं निकाली गई। नतीजतन इसकी गहराई 4.26 मीटर से घटकर 0.42 मीटर रह गई है। इससे पानी की क्षमता में 90 प्रतिशत तक की कमी आई है। इसके अलावा लंबित चंद्रावल संयंत्र और द्वारका संयंत्र के चालू न हो पाने पर भी बैठक में चर्चा की गई।
58 फीसदी पानी शहर में हो रहा बर्बाद
शहर में करीब 54 फीसदी बर्बाद हो रहा है। इसमें 40 फीसदी पानी जल बोर्ड की पाइप से रिसाव व 18 फीसदी चोरी की वजह से होता है। बैठक में इस पर मंत्री ने सहमति जताते हुए कहा कि इसके लिए जल्द ही जल बोर्ड ठोस कार्य योजना तैयार करेगा। एलजी ने मंत्रियों को सलाह दी कि बेकार के आरोप-प्रत्यारोप में न पड़ें। दिल्ली में पानी शोधन की क्षमता पर्याप्त नहीं है। हरियाणा को अपने आवंटित हिस्से से ऊपर अतिरिक्त पानी दे दे, तब भी कुछ खास बदलाव नहीं होगा। मौजूदा समय में ही मूनक नहर में मरम्मत और चोरी आदि के अलावा दिल्ली के शहरी क्षेत्र में 54 प्रतिशत पानी बर्बाद हो रहा है। जल संकट की बड़ी वजह यह है। इसको रोकने से पेयजल की समस्या दूर होगी।
हिमाचल से करें चर्चा
बैठक में कहा गया कि हिमाचल ने 137 क्यूसेक पानी अतिरिक्त रूप से यमुना में छोड़ा या नहीं, इसका अभी तक पता नहीं चला है। एलजी ने मंत्री से इस संबंध में हिमाचल प्रदेश की सरकार के साथ बातचीत करने को कहा है।