उपराज्यपाल की पहल पर 27 सितंबर को सदन की बैठक में स्थायी समिति के छठे सदस्य के निर्वाचन को लेकर मेयर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जताई गई आपत्तियों का एमसीडी ने सिलसिलेवार जवाब तैयार किया है। एमसीडी ने मेयर की हर आपत्ति का दस्तावेजी जवाब देने के साथ-साथ पांच अक्तूबर तक सदन की बैठक स्थगित करने के उनके निर्णय पर भी सवाल खड़े किए हैं। एमसीडी ने अपना जवाब उपराज्यपाल के वकीलों को दे दिया है। मेयर ने अपनी याचिका में 27 सितंबर को उपराज्यपाल की पहल पर हुई सदन की बैठक को गैरकानूनी बताया है।
एमसीडी ने मेयर पर 26 सितंबर की बैठक में चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने और नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। एमसीडी ने तर्क दिया कि मेयर ने पार्षदों के मोबाइल फोन लाने पर लगाई गई रोक को हटाने के निर्देश दिए थे। इसके अलावा, उन्होंने 26 सितंबर को चुनाव कराए बिना सदन की बैठक स्थगित कर दी। उनके इन दोनों निर्णय को एमसीडी ने गलत ठहराया है। एमसीडी ने दस्तावेनों के साथ यह साबित करने की कोशिश की है कि उस दिन सदन में कोई हंगामा नहीं हुआ था, इसलिए चुनाव कराए बिना बैठक स्थगित करने की आवश्यकता नहीं थी।
एमसीडी ने मेयर की आपत्तियों को निराधार साबित करने के लिए ठोस दस्तावेज जुटाए हैं, जिनमें 26 सितंबर की बैठक की जानकारी, कानूनी प्रावधान और सदन की प्रक्रिया से संबंधित कागजात शामिल हैं। साथ ही, उपराज्यपाल की पहल पर 27 सितंबर को हुई बैठक के संबंध में नियमों का पालन करने के दस्तावेज भी शामिल किए गए हैं। एमसीडी का दावा है कि उसने सभी प्रक्रियाओं का सही ढंग से पालन किया है।
सुप्रीम कोर्ट में प्रतिष्ठा दांव पर
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला बेहद अहम होगा। यदि कोर्ट मेयर के पक्ष में फैसला देता है तो यह एमसीडी के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। वहीं, अगर एमसीडी अपने पक्ष को सही साबित कर पाती है तो यह मेयर और आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ी राजनीतिक हार होगी। इसका सीधा असर एमसीडी की सत्ता संरचना पर पड़ेगा और स्थायी समिति में भाजपा का कब्जा हो सकता है।
मेयर ने उपराज्यपाल की भूमिका पर उठाए सवाल
मेयर ने आरोप लगाया है कि उपराज्यपाल ने 27 सितंबर को सदन की बैठक बुलाकर न केवल उनकी शक्तियों का अतिक्रमण किया, बल्कि एमसीडी के कामकाज में भी हस्तक्षेप किया। मेयर का दावा है कि इस बैठक का उद्देश्य एमसीडी के स्थायी समिति के चुनाव को नियंत्रित करना था।
भाजपा के दबाव में मेयर चुनाव कराने के लिए तैयार हुई आप
एमसीडी में नेता प्रतिपक्ष राजा इकबाल सिंह ने दावा किया कि भाजपा के दबाव में आम आदमी पार्टी मेयर चुनाव कराने के लिए तैयार हुई है। दरअसल मेयर चुनाव अप्रैल माह में होना था, मगर आप की मंशा थी कि दलित पार्षद मेयर नहीं बने। इस कारण उसने मेयर चुनाव लगातार टाला।
सिंह ने कहा कि पहले अरविंद केजरीवाल जेल से सरकार चलाने की बात कर रहे थे, लेकिन जेल में रहते हुए भी उन्होंने मेयर की फाइल पर हस्ताक्षर नहीं किए। जब वे जेल से बाहर आए, तब भी आप एक महीने से चुनाव न कराने के बहाने ढूंढ रही थी। भाजपा ने सदन की पिछली बैठक में दलित पार्षद का हक दिलाने का मुद्दा उठाया और आप की साजिश को उजागर किया। यह मामला राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग तक पहुंच गया। आयोग ने एमसीडी से जवाब मांगा, जिससे अब आप सरकार मेयर चुनाव कराने पर मजबूर हो गई है।