प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव की परीक्षा में भाजपा को सात सीटों पर मिली जीत न सिर्फ पार्टी कार्यकर्ताओं को हताशा से उबारेगी, बल्कि 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का सहारा भी बनेगी। खासतौर से मुरादाबाद की कुंदरकी और अयोध्या से सटी अंबेडकरनगर की कटेहरी जैसी सीटों पर तीन दशक बाद कमल का खिलना न सिर्फ भाजपा नेता व कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाने वाला है, बल्कि जनता के बीच भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में मददगार साबित होगा।
नतीजों ने चुनावी परीक्षा में मुख्यमंत्री योगी के डिस्टिंक्शन मार्क्स से पास होने की घोषणा की है। सिर्फ यूपी ही नहीं, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के बाद महाराष्ट्र तक के नतीजों ने बता दिया है कि योगी का बटेंगे तो कटेंगे नारा कामयाब रहा है। इसने हिंदुओं में चेतना पैदा की है। जिससे हिंदुत्व जीत रहा है और जाति हार रही है। यूपी के उपचुनाव और ताजा चुनाव परिणामों को यह भी माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को हुए का नुकसान की भरपाई करते हुए जनता ने यह संदेश देने की भी कोशिश की है कि राष्ट्रहित में अब वे न बटेंगे न कटेंगे।
उपचुनाव वाली सीटों के नतीजों पर गौर करें तो सभी सीटों पर बसपा और उसकी चुनौती बनकर उभर रही नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी मुख्य मुकाबले में नहीं रही है। अपवाद स्वरूप बसपा की कटेहरी सीट छोड़ दें तो दलित समाज के वोटों के आधार पर राजनीति करने वाले दोनों दलों के वोटों का आंकड़ा बताता है कि दलित मतदाताओं ने जाति के कार्ड की अनदेखी कर हिंदुत्व के एजेंडे पर मतदान किया है। अगर ऐसा न होता तो कुर्मी और मुस्लिम मतदाताओं से प्रभावित इस सीट पर भाजपा के जीतने की राह ही न निकलती।
उपचुनाव वाली नौ सीटों में 2022 में भाजपा ने गाजियाबाद, खैर, फूलपुर सीट ही जीती थी जबकि मझवां सीट पार्टी की सहयोगी निषाद पार्टी के खाते में गई थी और मीरापुर सीट राष्ट्रीय लोकदल ने जीता था। कटेहरी, सीसामऊ, कुंदरकी और करहल सपा ने जीती थी।
नतीजों के मुताबिक, इनमें भाजपा ने सहयोगियों सहित 2022 वाली अपनी सभी सीटों पर कब्जा बनाए रखते हुए अंबेडकरनगर की कटेहरी और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट सपा से छीन ली है। देखा जाए तो ज्यादातर सीटों पर भाजपा की जीत का अंतर भी बढ़ा है।
कटेहरी और कुंदरकी के दूरगामी परिणाम दिखेंगे
कटेहरी और कुंदरकी पर भाजपा की जीत बहुत कुछ कह रही है। जिसके आने वाले दिनों में दूरगामी प्रभाव दिखेंगे। इन सीटों पर भाजपा की जीत ने कई मिथक तोड़े हैं तथा तमाम आकलनों व अनुमानों को झुठलाते हुए नए समीकरणों की संभावनाओं का संकेत भी दिया है। देखा जाए तो कुंदरकी में हिंदुओं की संख्या इतनी नहीं है कि वे अकेले दम पर चुनाव में मुस्लिम समीकरणों को ध्वस्त कर दें। फिर वहां भाजपा की 1.40 लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज करना सपा के लिए साफ संकेत हैं कि मुस्लिम अब लकीर के फकीर बनकर नहीं रहना चाहते हैं। साथ ही सपा उम्मीदवार से नाराजगी ने भी भाजपा की जीत की राह आसान कर दी। जिसके अलग से विश्लेषण की जरूरत है।
भाजपा का आत्मबल बढ़ा
उपचुनाव के नतीजे भाजपा का आत्मबल बढ़ाने वाले और यह संदेश देने वाले हैं कि पार्टी नेतृत्व ने ही नहीं बल्कि नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी लोकसभा चुनाव के झटके से काफी कुछ सीखा है। उसमें सुधार किया है। यह भी माना जा रहा है कि योगी के नेतृत्व को कोई चुनौती नहीं है। उन पर लोगों का भरोसा दृढ़ है। अगर उनके नेतृत्व को लेकर संशय खड़ा होगा तो भाजपा को नुकसान होगा ।
योगी का हिंदुत्व व विकास मॉडल सफल
नतीजों ने साफ कर दिया है कि प्रदेश के लोगों को न सिर्फ योगी और उनकी सरकार पर विश्वास है बल्कि वे उनके विकास मॉडल पर भी पूरी तरह उनके साथ खड़े हैं। योगी पर भरोसा भाजपा को न सिर्फ आगे लेकर जा सकता है बल्कि कुंदरकी और कटेहरी जैसे विपक्ष के गढ़ में भी सेंध लगा सकता है। नतीजों ने यह भी साफ कर दिया है कि लोग योगी के काम करने की शैली से भी पूरी तरह सहमत हैं। जिसमें अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई भी है और प्रखर हिंदुत्व भी है ।
योगी की आक्रामक शैली का भाजपा को लाभ
लंबे समय से देश और प्रदेश की राजनीति पर नजदीकी निगाह रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि लाल बताते हैं कि राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया है। जिसे समझने की जरूरत है। यह बदलाव है राजनीति में आक्रामकता का और भरोसे का। रतनमणि कहते हैं कि मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह और मायावती की आक्रामक शैली पर जिस तरह से लोगों को भरोसा था। यही शैली योगी आदित्यनाथ की भी पूंजी है। लोगों को यह भरोसा है कि योगी जो कहेंगे उसे पूरा करके ही दम लेगें। योगी की आक्रामक शैली का ही भाजपा को लाभ हो रहा है।