बिहार के मखाना को विश्व के बाजार तक पहुंच बनाने के लिए सरकार मखाना महोत्सव का आयोजन कर रही है। कृषि विभाग की ओर से ज्ञान भवन में आज से दो दिवसीय राष्ट्रीय समारोह मखाना महोत्सव शुरू हो रहा है। इस महोत्सव में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ ही देशभर के निर्यातकों और ट्रेडर्स को आमंत्रित किया गया है।
जानिए मखाना महोत्सव में क्या है विशेष
बता दें कि कृषि विभाग की ओर से आयोजित महोत्सव में अलग-अलग ग्रेड के मखाना और मखाना उत्पाद का प्रदर्शन किया जाएगा। उत्पादक व खरीददार को एक साथ मिलने का मौका मिलेगा। वहीं मखाना पॉपिंग का लाइव प्रदर्शन किया जाएगा। साथ ही मखाना उत्पादन में वृद्धि, पैकेजिंग, हार्वेस्टिंग और पापिंग में मशीन का उपयोग आदि की तकनीकी जानकारी किसानों को दी जाएगी। मखाना के विभिन्न उत्पादों के लिए अलग-अलग स्टॉल लगाए जाएंगे। इसके अलावा डिजिटल मार्केटिंग पर भी चर्चा होगी।
धान-गेहूं की तुलना में मखाना की खेती से दो से तीन गुना अधिक आय
बिहार में मखाना की खेती कर रहे किसानों का मानना है कि धान-गेहूं की तुलना में मखाना की खेती से उन्हें दो से तीन गुना अधिक आय हो रही है। ऐसे में इन किसानों के मनोबल को और बढ़ाने के लिए इस समारोह का आयोजन किया जा रहा है। मखाना की खेती में प्रति हेक्टेयर लगभग 25 हजार रुपए खर्चा आता है जबकि बेचने पर लगभग 70,000 प्रति हेक्टेयर लाभ अर्जित होता है।
बिहार में मखाना उत्पादन भारत के कुल उत्पादन का 85 प्रतिशत
गौरतलब हो कि बिहार में मखाना की कृषि सबसे अधिक होती है। य़ह भारत के कुल उत्पादन का 85 प्रतिशत पैदा करता है। मखाना का उत्पादन मुख्य रूप से बिहार के दरभंगा, मधुबनी, मधेपुरा, फारबिसगंज, सीतामढ़ी, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया, सुपौल, अररिया, किशनगंज, बेगूसराय, शिवहर में होता है।