परोपकार की मिसाल थे पद्मविभूषण रतन टाटा, इन 4 कारणों से देश हमेशा उन्हें रखेगा याद

दिग्गज उद्योगपति और टाटा संस के मानद प्रमुख रतन टाटा (Ratan Tata) नहीं रहे। उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली। रतन टाटा ने न सिर्फ टाटा समूह को आसमान की बुलंदियों पर पहुंचाया बल्कि उन्होंने कई ऐसे ऐतिहासिक काम किए, जिसकी वजह से दुनिया उन्हें हमेशा याद रखेगी। देश के लिए उनका योगदान हमेशा एक नजीर रहेगा।

जब कोरोना के समय मदद के लिए आगे आया था TATA ग्रुप
कोरोना महामारी के समय हमारा देश स्वास्थ्य संकटों से जूझ रहा था। उस समय टाटा समूह ने देश की मदद के लिए 1500 करोड़ रुपये का डोनेशन दिया। टाटा ट्रस्ट के प्रवक्ता देवाशीष राय का कहना है कि सामान्य हालात में ट्रस्ट हर साल करीब 1200 करोड़ परमार्थ के लिए खर्च करता है।


जब लॉन्च हुई थी लाख रुपये की कार
देश में हर आम आदमी की ख्वाहिश होती है कि उनके पास एक कार हो। आम आदमी के इस ख्वाब को पूरा करने के लिए साल 2008 में टाटा मोटर्स की ओर से नैनो कॉर लॉन्च किया गया। इस कार की कीमत करीब 1 लाख रखी गई।


जरूरतमंद छात्रों को मिलती है स्कॉलरशिप
आर्थिक तंगी से जूझने वाले छात्रों की मदद के लिए भी टाटा ग्रुप हमेशा आगे रहा। ट्रस्ट ऐसे जरूरतमंद छात्रों को स्कॉलरशिप देता है। छात्रों को J.N. Tata Endowment, Sir Ratan Tata Scholarship और Tata Scholarship दिया जाता है।

टाटा शिक्षा एवं विकास ट्रस्ट ने 28 मिलियन डॉलर का टाटा छात्रवृत्ति कोष प्रदान किया था, जिससे कॉर्नेल विश्वविद्यालय भारत के स्नातक छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान कर सके। वार्षिक छात्रवृत्ति से एक समय में लगभग 20 छात्रों को सहायता मिलती थी।

स्वास्थ्य सेवा पर हमेशा रहा टाटा ग्रुप का जोर
टाटा समूह की कंपनियों और टाटा चैरिटीज ने 2010 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (एचबीएस) को एक कार्यकारी केंद्र के निर्माण के लिए 50 मिलियन डॉलर का दान दिया था।

वर्ष 1970 के दशक में उन्होंने आगा खान अस्पताल और मेडिकल कॉलेज परियोजना की शुरुआत की, जिसने भारत के प्रमुख स्वास्थ्य सेवा संस्थानों में से एक की नींव रखी।

टाटा समूह ने 2014 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे को 950 मिलियन डॉलर का ऋण दिया गया और टाटा सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एंड डिजाइन (टीसीटीडी) का गठन किया गया। यह संस्थान के इतिहास में अब तक प्राप्त सबसे बड़ा दान था।

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