विटामिन सी शरीर के लिए बेहद अहम सभी पोषक तत्वों में से एक है। इसे एस्कॉर्बिक एसिड भी कहते हैं। ये एक वॉटर सॉल्युबल विटामिन है, जो कि सिट्रस फ्रूट्स जैसे नींबू, संतरा, टमाटर और हरी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है। ये रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और संक्रमण से शरीर का बचाव करता है। इससे स्किन में ग्लो बना रहता है और एजिंग प्रक्रिया धीमी होती है। ये ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में भी मदद करता है।
इतने सारे फायदों के कारण लोग विटामिन सी से भरपूर फूड्स खाना शुरू कर देते हैं। हालांकि, हर सिक्के के दो पहलू की तरह इसके भी फायदे और नुकसान दोनों है। इसकी सीमित मात्रा बहुत फायदेमंद है, वहीं अगर यह ज्यादा हो जाए, तो इसके कई नुकसान भी हैं।
रोजाना कितना विटामिन-सी जरूरी?
एक वयस्क के लिए विटामिन सी की डोज प्रतिदिन 65 से 90 एमजी बताई जाती है। इसकी अपर लिमिट 2000 एमजी है। यही कारण है कि जब डाइट से विटामिन सी की आपूर्ति नहीं पूरी हो पाती है तब लोग सप्लीमेंट लेना भी शुरू कर देते हैं। हालांकि, जरूरत से ज्यादा विटामिन सी लेने से शरीर में इसकी अब्सोर्प्शन दर कम हो जाती है। इससे ये शरीर में जमा होने लगता है और फिर विटामिन सी ओवरडोज के लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं। आइए जानते हैं विटामिन सी ओवरडोज के लक्षण
किडनी स्टोन
विटामिन सी शरीर से ऑक्सलेट के रूप में निकलता है। ज्यादा विटामिन सी होने से ये वेस्ट प्रोडक्ट इकट्ठा होने लगते हैं, जो कि यूरिक एसिड बढ़ाने के साथ किडनी स्टोन का रूप लेने लगता है।
आयरन ओवरलोड
विटामिन सी आयरन एब्सोर्पशन की प्रक्रिया को सपोर्ट करता है। लेकिन जब शरीर में विटामिन सी की अधिक मात्रा हो जाती है तो इससे आयरन का भी ओवरलोड बढ़ जाता है जो कि कई लक्षण के रूप में प्रस्तुत होता है। ये हार्ट, लिवर, पैंक्रियाज, थायरॉइड और सेंट्रल नर्वस सिस्टम को काफी नुकसान पहुंचा सकता है।
हड्डियों में दर्द और फ्रैक्चर
विटामिन सी की अधिक मात्रा ब्लड में प्रोटीन के प्रवाह को ट्रिगर कर सकती है जिससे ओस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित लोगों में फ्रैक्चर होने की संभावना बढ़ जाती है।
ये भी हे सकते हैं लक्षण-
पाचन तंत्र में गड़बड़ी
रात में नींद न आना
डायरिया
उल्टी और मितली
सीने में जलन
पेट में ब्लोटिंग
पीरियड्स जैसे क्रैंप्स