शिवसेना (शिंदे गुट) द्वारा मुंबई, कल्याण, ठाणे एवं नासिक के भी उम्मीदवारों की घोषणा के बाद साफ हो गया है कि मुंबई और ठाणे की पांच सीटों पर शिवसेना (शिंदे गुट) एवं शिवसेना (यूबीटी) की सीधी भिड़ंत होने जा रही है। शिवसेना शिंदे गुट ने मंगलवार को मुंबई उत्तर-पश्चिम सीट से रवींद्र वायकर को एवं दक्षिण मुंबई की सीट से यामिनी जाधव को चुनाव लड़वाने की घोषणा की थी। ये दोनों शिवसेना के विधायक हैं, जो अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ हैं।
बुधवार को पार्टी ने कल्याण से श्रीकांत शिंदे को तीसरी बार उम्मीदवारी देने की घोषणा की। जबकि, मुख्यमंत्री शिंदे के गृहनगर ठाणे से नरेश म्हस्के को उम्मीदवारी दी गई है। लंबे समय से अनिर्णय की स्थिति में लटकी नासिक सीट से भी शिवसेना शिंदे गुट ही चुनाव लड़ेगा। वहां से पार्टी ने दो बार के सांसद हेमंत गोडसे को उम्मीदवार बनाया है।
इस सीट को लेकर राकांपा अजीत गुट एवं शिवसेना शिंदे गुट में कश्मकश चल रही थी। राकांपा अजीत गुट से उसके वरिष्ठ नेता छगन भुजबल इस सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे। शिंदे गुट द्वारा इन सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा होने के बाद साफ हो गया है कि मुंबई और ठाणे की पांच सीटों पर दोनों शिवसेनाओं की सीधी भिड़ंत होने जा रही है। मुंबई और ठाणे शिवसेना का गढ़ माना जाता रहा है।
2009 में मुंबई से शिवसेना-भाजपा गठबंधन का सफाया हो गया था। उसे छह में से एक भी सीट नहीं मिल पाई थी। लेकिन कल्याण और ठाणे की सीटें वह तब भी जीतने में सफल रही थी। 2014 में चली मोदी लहर ने स्थिति पलट दी। तब ठाणे और कल्याण में तो शिवसेना रही ही, मुंबई से कांग्रेस का सफाया हो गया। मुंबई की तीन सीटें शिवसेना ने जीतीं और तीन भाजपा ने। मुंबई और ठाणे की आठ सीटों पर यही स्थिति 2019 में भी रही। लेकिन जून 2022 में शिवसेना में हुई टूट के बाद से असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि अब मुंबई और ठाणे पर किसका वर्चस्व नजर आएगा।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के वर्चस्ववाली शिवसेना का या उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली टूट चुकी शिवसेना का।शिवसेना में विभाजन के बाद शिवसेना के 18 में से 13 सांसद टूटकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ आ गए थे। इस बार सीटों के बंटवारे में भाजपा के हिस्से में 28, शिवसेना (शिंदे गुट) को 15, राकांपा (अजीत) को चार और राष्ट्रीय समाज पक्ष को एक सीट मिली है। अब एकनाथ शिंदे के सामने चुनौती है अपने हिस्से में आईं सीटों में से अधिक से अधिक जीतने की।
चूंकि भाजपा की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर 400 पार का नारा दिया गया है, इसलिए महाराष्ट्र के विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी की तुलना में सत्तारूढ़ महायुति ज्यादा एकजुट होकर काम करती दिखाई दे रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभाएं भी सिर्फ भाजपा उम्मीदवारों के लिए नहीं, बल्कि सहयोगी दलों के उम्मीदवारों के लिए भी हो रही हैं। यहां तक कि प्रधानमंत्री सिर्फ एक सीट पाए सहयोगी दल राष्ट्रीय समाज पक्ष के उम्मीदवार महादेव जानकर के पक्ष में परभणी में भी सभा कर चुके हैं। मुंबई में चुनाव पांचवें चरण में है।
उससे पहले प्रधानमंत्री की एक सभा शिवसेना-भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में होने की संभावना है। इसके अलावा इस बार महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे भी राजग गठबंधन को ही समर्थन देने की घोषणा कर चुके हैं। निश्चित रूप से इसका लाभ भी शिवसेना (शिंदे) एवं भाजपा को ही मिलेगा।