मोदी सरकार ने जनजातीय समुदाय के समग्र विकास के अपने संकल्प को आगे बढ़ाते हुए बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान को मंजूरी दे दी। इस योजना का उद्देश्य आदिवासियों की सामाजिक आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना है। योजना पर कुल 79156 करोड़ रुपये खर्च आएगा जिसमें से केंद्र सरकार 56333 करोड़ रुपये देगी जबकि 22823 करोड़ रुपये राज्यों की हिस्सेदारी होगी।
पांच करोड़ आदिवासियों को लाभ होगा
योजना के तहत देश के आकांक्षी जिलों और आदिवासी बहुल गावों का समग्र विकास किया जाएगा। जिसमें देश भर के 63000 आदिवासी बहुल गावों को कवर किया जाएगा और उन्हें बुनियादी सुविधाओं और इन्फ्रास्ट्रेक्टर में सेचुरेशन मोड तक ले जाया जाएगा। इस योजना से पांच करोड़ आदिवासियों को लाभ होगा।
देशभर में 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आदिवासी बहुल 549 जिलों और 2740 ब्लाकों को ये योजना लागू होगी। प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान में भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सामाजिक बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका के अंतर को खत्म करके जनजातीय क्षेत्र और जनजातीय समुदाय का सतत विकास सुनिश्चित करना है।
पक्के घरों का निर्माण होगा
इस योजना के क्रियान्वयन में केंद्र सरकार के 17 मंत्रालय 25 क्षेत्रों में काम करेंगे। आदिवासी विकास योजना के तहत आवंटित राशि अगले पांच वर्ष में चार उद्देश्यों से संबंधित योजनाओं पर खर्च होगी जिसमें गावों में इन्फ्रास्ट्रक्टर का विकास, पक्के घरों का निर्माण, आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा देना जिसमें कौशल विकास, उद्यमिता को प्रोत्साहन और स्वरोजगार को बढ़ावा देना शामिल है। इस योजना के अंतर्गत विभिन्न मंत्रालय मिल कर काम करेंगे जिसमें शहरी विकास मंत्रालय 20 लाख घरों का निर्माण करेगा और 25000 किलोमीटर ग्रामीण सड़क का निर्माण होगा।
श्रम, स्कूलों और हॉस्टलों का इन्फ्रास्ट्रक्टर बेहतर होगा
गांव के हर घर तक स्वच्छ पेयजल सुविधा, बिजली कनेक्शन, मोबाइल मेडिकल यूनिट की स्थापना, आयुष्मान कार्ड, एलपीजी कनेक्शन, सहित सभी तरह की सरकारी सुविधा मुहैया कराना है। इसके अलावा 100 ट्राइबल मल्टी परपस मार्केटिंग सेंटर्स, आश्रम, स्कूलों और हॉस्टलों का इन्फ्रास्ट्रक्टर बेहतर करना, सीकेल सेल व खून की कमी से निबटने के लिए केद्र स्थापित करने के साथ की तरह की सुविधाओं के प्रविधान हैं।