
म्यामांर में बंधक बनाकर रखे गए यूपी के 53 लोगों को छुड़ाकर मंगलवार को गाजियाबाद के हिंडन एयरपोर्ट लाया गया। इनमें 21 लोग देर रात बस से लखनऊ लाए गए। सभी लोगों को नौकरी का झांसा देकर म्यांमार ले जाया गया था। जहां, साइबर अपराधियों ने कैद कर रखा था। इनसे साइबर ठगी के लिए काॅल कराई जाती थी। पासपोर्ट समेत सभी दस्तावेज जब्त कर लिए गए थे।
लखनऊ लाए गए लोग प्रतापगढ़, गोरखपुर, गोंडा और लखनऊ के आलमबाग के हैं। सभी से खुफिया एजेंसियां पूछताछ कर रही हैं। एसटीएफ की टीम ने भी पूछताछ की है। लखनऊ लाए गए लोग जहां के रहने वाले हैं, उस जिले की पुलिस को भी बुलाया गया है। नाम, पता, पिता का नाम, मोबाइल नंबर, म्यांमार में रहने वाले परिचित भारतीयों समेत अन्य जानकारियां लिखकर देने के बाद इन्हें उनके घर भेज दिया जाएगा।
पिछले दो दिनों में 530 को छुड़ाकर भारत लाया गया है। इनमें सोमवार को 283 और मंगलवार को 247 लोग हिंडन एयरपोर्ट पहुंचे हैं। सभी लोगों को म्यामांर म्यावाड़ी शहर में रखा गया था। कोई एक साल से बंधक था तो कोई छह महीने से। इसकी जानकारी मिलने पर विदेश मंत्रालय के सहयोग से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इनकी वतन वापसी कराई है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी सभी को छुड़ाने के बाद पहले विमान से थाईलैंड के माईसोत शहर ले गए। इन्हें म्यामांर से रिहा कराने के बाद थाईलैंड से वायुसेना के विमान से भारत लाया गया है।
सोशल मीडिया के जरिये ठगों ने किया था संपर्क
नौकरी के नाम पर म्यामांर बुलाए गए लोगों में ज्यादातर युवा हैं। पूछताछ में सभी ने बताया कि उनसे सोशल मीडिया के जरिए ठगों ने संपर्क किया था। उनसे उनके शिक्षा संबंधित दस्तावेज मांगे गए थे। इसके बाद साक्षात्कार लिया गया था। साक्षात्कार के बाद आरोपियों ने उन्हें नौकरी दी थी। लखनऊ लाए गए लोगों में अधिकांश पढ़े लिखे हैं। इनमें कुछ ने एमबीए तो कुछ ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। सभी को 30 से 70 हजार रुपये देने का झांसा दिया गया था, लेकिन उन्हें 24 हजार ही देते थे।
घर जाने की जिद करने पर लगाते थे करंट
पूछताछ में सामने आया है कि जो लोग वापस भारत आने की जिद करते थे उन्हें प्रताड़ित किया जाता था। करंट भी लगाते थे। मना करने पर खाना पीना बंद कर देते थे। सभी को बिल्डिंग से बाहर जाने की इजाजत नहीं थी।