महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पत्नी को राज्यसभा उपचुनाव में उतारने का फैसला उनकी पार्टी एनसीपी की शीर्ष इकाई ने लिया है। उन्होंने उन खबरों का खंडन किया कि वरिष्ठ सहयोगी छगन भुजबल इस कदम से नाराज हैं। अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा ने गुरुवार को महाराष्ट्र में आगामी राज्यसभा उपचुनाव के लिए एनसीपी उम्मीदवार के तौर पर नामांकन पत्र दाखिल किया है।
कुछ दिन पहले ही वह बारामती से लोकसभा चुनाव हार गई थीं। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल के फरवरी में छह साल के पूर्ण कार्यकाल के लिए संसद के उच्च सदन के लिए निर्वाचित होने और अपनी सीट खाली करने के बाद यह उपचुनाव कराना जरूरी हो गया था। सुनेत्रा पवार के नामांकन के बाद कैबिनेट मंत्री भुजबल के नाराज होने की मीडिया रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर एनसीपी अध्यक्ष ने कहा कि उनके पार्टी सहयोगी ने खुद उनसे कहा था कि वह नाराज नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोगों समेत कुछ लोग और ‘हमारे करीबी दोस्त’ ऐसी खबरें फैला रहे हैं, लेकिन उनमें कोई सच्चाई नहीं है। अजीत पवार ने कहा, “नामांकन के बारे में निर्णय संसदीय बोर्ड (राकांपा की शीर्ष इकाई) द्वारा लिया गया था, जिसके बाद सुनेत्रा पवार ने नामांकन पत्र दाखिल किए।
उन्होंने कहा कि मुंबई क्रिकेट संघ के अध्यक्ष अमोल काले की दुखद मृत्यु के कारण उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नामांकन दाखिल करने में शामिल नहीं हो सके। मैंने एक दिन पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भी बताया था कि वे नामांकन पत्र दाखिल करने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि फिर भी ऐसी खबरें हैं कि नामांकन दाखिल करने के समय राकांपा के सहयोगी भाजपा और शिवसेना के नेता मौजूद नहीं थे। अजीत पवार ने पूछा, “अगर मैंने उन्हें आमंत्रित नहीं किया होता, तो वे वहां क्यों होते?” उन्होंने बताया कि जब सुनेत्रा पवार ने दक्षिण मुंबई में विधान भवन में नामांकन पत्र दाखिल किया, तो पटेल और भुजबल सहित राकांपा के प्रमुख नेता मौजूद थे।
इससे पहले, दिन में भुजबल ने पुणे में कहा कि वह सांसद बनना चाहते हैं, और इसीलिए वह नासिक से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह राज्यसभा नामांकन के लिए भी उत्सुक हैं। भुजबल उन खबरों पर जवाब दे रहे थे, जिसमें दावा किया गया था कि सुनेत्रा पवार को राज्यसभा का टिकट दिए जाने के बाद वे नाराज हैं।
जब उनसे पूछा गया कि क्या लोकसभा और राज्यसभा के टिकटों को लेकर उनके साथ अन्याय हुआ है, तो प्रमुख ओबीसी नेता ने कहा कि यह सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए।
भुजबल ने कहा, “मेरी सांसद बनने की इच्छा है, इसलिए मैं नासिक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए तैयार था। मुझे बताया गया था कि दिल्ली में मेरा टिकट फाइनल हो गया है, जिसके बाद मैंने काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन जब (नाम की घोषणा करने का) फैसला एक महीने तक लटका रहा, तो मैंने काम करना बंद कर दिया।”