पूर्वांचल में अर्बन नक्सलियों की पैठ और प्रतिबंधित संठगन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े रहे लोगों के कारण लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) भी अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है। वाराणसी के साथ ही चंदौली, बलिया, सोनभद्र, भदोही, प्रयागराज, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज और गोरखपुर पर एटीएस की विशेष रूप से नजर है।
इन जिलों के चिह्नित लोगों की प्रत्येक गतिविधियां एटीएस के रडार पर हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गत हफ्ते बलिया जिले के 11 और बिहार के कैमूर जिले में एक स्थान पर छापा मारा था। एनआईए के अधिकारियों के अनुसार, प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) इस क्षेत्र में अपने संगठन को पुनर्जीवित करने के प्रयास में लगे हैं। इसी तरह से बीते वर्ष एटीएस ने अर्बन नक्सल की धरपकड़ के लिए वाराणसी के अलावा बलिया, चंदौली और सोनभद्र जिले में छापा मार कर धरपकड़ की थी।
शीर्ष खुफिया एजेंसियों के अफसरों के अनुसार लोकसभा चुनाव के दौरान राष्ट्र विरोधी ताकतों के साथ मिल कर अर्बन नक्सल और पीएफआई जैसे प्रतिबंधित संगठन के प्रति सहानुभूति रखने वाले सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोगों की भावनाएं भड़काने का प्रयास कर सकते हैं। इसलिए ऐसे लोगों की रूटीन की गतिविधियों के साथ ही आभासी दुनिया की उनकी सक्रियता को लेकर भी अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है।
पीएफआई के प्रति सहानुभूति रखने वाले वाराणसी और भदोही में
खुफिया एजेंसियों के अफसरों के अनुसार, प्रतिबंधित संगठन पीएफआई से सहानुभूति रखने वाले लोग अभी भी वाराणसी और भदोही जिले में हैं। यह चिह्नित लोग फिलहाल किसी भी प्रकार की बैठक या सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म के माध्यम से विचारों का आदान-प्रदान नहीं कर रहे हैं। इसके बावजूद एहतियातन इनकी गतिविधियों की नियमित निगरानी की जा रही है।
एआई आधारित चुनाव प्रचार सामग्री को लेकर सतर्कता
लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए इस बार राजनीतिक दलों का एक प्रमुख माध्यम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित चुनाव प्रचार सामग्री भी एटीएस की पैनी नजर है। सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफॉर्म पर एआई आधारित चुनाव प्रचार सामग्री राष्ट्र विरोधी संदेश देती हुई न प्रतीत हो, इसे लेकर एटीएस की टीमें अतिरिक्त सतर्कता बरत रही हैं।