आरबीआई अगर नीतिगत ब्याज दरों में कटौती करता है, तो घर खरीदने की क्षमता में वृद्धि देखने को मिल सकती है। समय के साथ कुल 50 आधार अंकों (बीपीएस) की कटौती का फैसला घर खरीदने वालों को राहत देगा। इससे 2022 से स्थिर ब्याज दरों और बढ़ती संपत्ति की कीमतों के कारण घर खरीदने की चुनौतियों का समाधान होगा।
जेएलएल के होम परचेज अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स (एचपीएआई) के अनुसार, अगले कुछ महीनों में रेपो रेट में कमी से 2025 तक दिल्ली-एनसीआर और बेंगलुरु को छोड़कर अधिकांश आवासी बाजारों में घर खरीदने की सामर्थ्य बढ़ सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, आवासीय बाजार में फिलहाल लगातार तेजी का अनुभव हो रहा है। जेएलएल के अनुसार, 2024 में आवासीय बिक्री 3,05,000-3,10,000 इकाइयों तक पहुंचने की उम्मीद है और 2025 में यह बढ़कर 3,40,000-3,50,000 यूनिट हो जाने का अनुमान है।
स्वस्थ आय वृद्धि, संभावित ब्याज दर में कटौती और मूल्य वृद्धि में नरमी के संयोजन से अगले 12 महीनों में सामर्थ्य में सुधार होने की उम्मीद है, जिससे मध्यम अवधि में भारत के आवासीय रियल एस्टेट क्षेत्र में निरंतर बाजार गतिविधि और निरंतर मजबूत प्रदर्शन का मार्ग प्रशस्त होगा।
ब्याज दरों में कब होगी कटौती?
जेएलएल की रिपोर्ट में 2024 के अंत से पहले दरों में कटौती को लेकर अनश्चितता जताई गई है, लेकिन विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले 12 महीनों में कुल 50 आधार अंकों की कमी होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मौद्रिक सहजता से अर्थव्यवस्था में उधार लेने की लागत कम होने की उम्मीद है, जिससे घर खरीदने वालों और डेवलपर्स दोनों को लाभ होगा।
रिपोर्ट के अनुसार, 2011 को आधार वर्ष मानते हुए, हैदराबाद 132 प्रतिशत की वृद्धि के साथ मूल्य वृद्धि में सबसे आगे है। इसके बाद बेंगलुरु 116 प्रतिशत और दिल्ली-एनसीआर 98 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है। आय के मोर्चे पर, मुंबई में सबसे अधिक 189 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जबकि पुणे और हैदराबाद में क्रमश: 173 प्रतिशत और 163 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
केंद्रीय मंत्री भी ब्याज कटौती के पक्ष में
पिछले कुछ दिनों में कई केंद्रीय मंत्रियों ने ब्याज दरों में कटौती की वकालत की है। इसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हैं। गोयल ने तो जिस कार्यक्रम में ब्याज दरों में कटौती का सुझाव दिया, उसमें आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास भी मौजूद थे। उन्होंने ब्याज दरों में कटौती के सवाल पर कहा कि इसका फैसला दिसंबर एमपीसी में होगा।
आरबीआई गवर्नर कई मौकों पर साफ कर चुके हैं कि केंद्रीय बैंक का फोकस फिलहाल महंगाई घटाने पर है। उनका कहना है कि अगर महंगाई बेकाबू हुई, तो घरेलू उद्योगों और निर्यात पर काफी बुरा असर पड़ेगा। इससे पता चलता है कि आरबीआई का कम से कम दिसंबर एमपीसी में ब्याज दरों में कटौती का इरादा नहीं है।