संयुक्त राष्ट्र के यमन में तैनात नौ कर्मियों समेत कई लोगों को हूती विद्रोहियों ने बंदी बना लिया है। बंदी बनाए गए सभी कर्मी यमनी मूल के हैं। संयुक्त राष्ट्र कर्मियों को किन परिस्थितियों में बंदी बनाया गया और उन्हें कहां रखा गया है, यह अभी स्पष्ट नहीं है। यमन के बड़े इलाके पर कब्जा किए हूती विद्रोही गाजा में इजरायली हमले के विरोध में बीते सात महीनों से लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों पर हमले कर रहे हैं।
अमेरिकी नौसेना के नेतृत्व वाला गठबंधन भी इन हमलों को रोक पाने में सफल नहीं हो पाया है। लेकिन इस दौरान अमेरिका और ब्रिटेन के लड़ाकू विमानों ने यमन में हूती के कब्जे वाले इलाकों पर लगातार हमले किए हैं और उसके संसाधनों पर प्रहार किया है। माना जा रहा है कि इस कारण आर्थिक तंगी महसूस कर रहे हूती ने संयुक्त राष्ट्र कर्मियों पर हमला कर दबाव बनाने की कोशिश की है।
इसके चंद रोज पहले हूती के कथित न्यायालय ने सऊदी अरब समर्थक 44 लोगों को मौत की सजा सुनाई थी। संयुक्त राष्ट्र के जो कर्मी बंदी बनाए गए हैं उनमें मानवाधिकार परिषद, विकास कार्यक्रम और खाद्य कार्यक्रम से जुड़े थे। एक विशेष दूत को भी बंदी बनाया गया है। बंदियों में एक महिला भी शामिल है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने इस घटनाक्रम पर अभी कोई बयान नहीं दिया है। पता चला है कि हूती ने अपने कब्जे वाले चार प्रांतों-अमरान, होदेदा, सादा और सना में तैनात कर्मियों को बंदी बनाया है।