एंग्जाइटी एक ऐसी मानसिक स्थिति है जो स्ट्रेस और टेंशन से ट्रिगर होती है और फिर बढ़ी हुई हार्ट बीट जैसे शारीरिक लक्षण दिखाने लगती है। थोड़ी बहुत एंग्जाइटी जो कुछ घंटों या कुछ दिन के लिए हो तो इसे हैंडल (Manage anxiety) किया जा सकता है लेकिन अगर यह इमोशन 6 महीने तक न ठीक हो, बल्कि और भी गंभीर होता जाए तो यह चिंता का विषय है। एंग्जाइटी के लक्षण हैं तेज हार्ट बीट, रफ्तार भरी सांसें, फोकस करने में समस्या, सोने में समस्या और लगातार बने रहने वाला एक डर। वैसे तो, गंभीर एंग्जाइटी की स्थिति को थेरेपी और दवाइयों की जरूरत होती है, लेकिन अगर एंग्जाइटी की शुरुआत है तो इसे आसानी से हैंडल किया जा सकता है।
बिना दवाइयों के ऐसे हैंडल करें एंग्जाइटी
नेचर में वक्त बिताएं
पेड़ पौधे, आसमान, पशु पक्षी और ताजी हवा में नेचर के बीच निकलें। वॉक करें या शांति से जा कर किसी बेंच पर बैठ जाएं। अगर बाहर नहीं निकल सकते तो अपनी बालकनी में ही छोटे से गमले के पास बैठें और फूल पत्तियां निहारें। इससे आंखों को सुकून तो मिलता ही है साथ ही मानसिक तनाव से भी राहत मिलती है।
डायफ्रामैटिक ब्रीथिंग
गहरी लंबी सांस लेकर अपने रिब केज को हवा से भर लें। फिर जितनी सांस अंदर खींची है उससे अधिक बाहर की तरफ छोड़ें। जैसे 5 सेकंड तक इनहेल करें तो 7 सेकंड तक एक्सहेल करें। दो मिनट तक करें।
फिजिकल एक्टिविटीज
ओवरएक्टिव नर्वस सिस्टम को शांत करने का बेहतरीन तरीका है कि उस नेगेटिव एनर्जी को शरीर से बाहर निकालें। इसलिए किसी भी तरह का मूवमेंट करें जैसे स्विमिंग, रनिंग, योगा, डांस आदि। ध्यान रहे कि ये मूवमेंट ऐसा हो कि इसमें किसी तरह का दर्द न हो।
ठंडे पानी से मुंह धोएं
एंग्जाइटी महसूस होने पर ठंडे पानी के छींटे मुंह पर मारें। इससे फेस के डीपर टिश्यू तक ब्लड फ्लो बढ़ता है और ये शरीर का तापमान संतुलित करता है। ये अटेंशन भी डायवर्ट करता है और इंस्टेंट स्ट्रेस रिलीफ देता है।
सोशल मीडिया से दूरी बनाएं
एंग्जाइटी महसूस होने पर फोन चलाना शुरू न करें। ये उल्टा एंग्जाइटी को और भी बढ़ाता है। दूसरों के खुशहाल जीवन को देख कर आप उससे अपने जीवन की तुलना करने लगते हैं जिससे एंग्जाइटी और भी बढ़ती है।