महाराष्ट्र बिल : ‘अर्बन नक्सल’ से निपटने के लिए अब नया कानून आने वाला है। महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने विधानसभा में इसको लेकर एक बिल भी पेश कर दिया है। इस बिल का नाम है ‘महाराष्ट्र स्पेशल पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट 2024’। अगर ये बिल पास हो जाता है तो इससे शहरी इलाकों में बढ़ रहे नकस्लवाद और उनके खतरों से निपटने में मदद मिलेगी।
इस बिल को लाने का क्या है कारण?
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार (11 जुलाई) को विधानसभा में ये बिल पेश किया। उन्होंने दावा किया कि नक्सलवाद न केवल महाराष्ट्र बल्कि कई इलाकों में तेजी से फैल रही है। कई अलग-अलग संगठन नक्सलियों को भारी हथियार और फंडिंग मुहैया कराने में मदद कर रहे हैं। फडणवीस ने कहा कि इनसे निपटने के लिए मौजूदा कानून काफी नहीं होगा।
जानकारी के लिए बता दें कि इस समय नक्सल प्रभावित इन 4 राज्यों में पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट है और लगभग 48 नक्सली संगठनों पर बैन लगाया जा चुका है। ये चार राज्य है- छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा।
क्या होगी सजा?
- बिल के कानून बनते ही सरकार के पास होंगे ये अधिकार- किसी भी नक्सल संगठन को गैरकानून घोषित कर सकती है सरकार।
- बता दें कि चार अपराधों के आधार पर सजा दी जाएगी। अगर कोई भी गैरकानूनी संगठन का सदस्य होता है या संगठन के लिए फंड जुटाता है और मदद करता है और कोई भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल होता है तो आरोपित व्यक्ति को 2 से 7 साल की जेल की सजा सुनाई जा सकती है। जेल की सजा के साथ-साथ 2 से 5 लाख का जुर्माना भी देना होगा।
- वहीं, किसी भी गैरकानूनी गतिविधि को अंजाम देने पर दोषी पाए जाने पर 7 साल की जेल और 5 लाख रुपये के जुर्माना होगा। बता दें कि इस कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के भी गिरफ्तार किया जा सकता है और ये गैर-जमानती होगा।
UAPA से कितना अलग ये बिल?
महाराष्ट्र नक्सल विरोधी विधेयक और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम दोनों ही राज्य को संगठनों को “गैरकानूनी संगठन” के रूप में नामित करने की शक्ति देते हैं। UAPA की बात करें तो अगर किसी संगठन को बैन किया जाता है कि इसे हाईकोर्ट की जज की अगुवाई में एक ट्रिब्यूनल ही फैसला सुना सकती है। वहीं, महाराष्ट्र बिल इससे काफी अलग होगा। इसमें तीन सदस्यों का एक एडवाइजरी बोर्ड होगा, जो फैसला सुनाएगी।
‘गैरकानूनी गतिविधि’ क्या होगी?
महाराष्ट्र विधेयक के अनुसार, गैरकानूनी गतिविधि में होगा ये सब
- जो सार्वजनिक व्यवस्था, शांति और सौहार्द के लिए खतरा या खतरा पैदा करती है
- जो सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव में हस्तक्षेप करती
- जो कानून या उसके स्थापित संस्थानों और कर्मियों के प्रशासन में हस्तक्षेप
- हिंसा, तोड़फोड़ या अन्य ऐसे कार्यों में लिप्त होना या उनका प्रचार करना
- रेल, सड़क, वायु या जल द्वारा संचार को बाधित करना या प्रोत्साहित करना