आबू धाबी में आयोजित एशियन स्कूल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में चंडीगढ़ की मुक्केबाज गुरसीरत कौर ने गोल्ड मेडल जीतकर देश, शहर और अपने माता पिता का नाम रोशन किया है। गुरसीरत कौर ने प्रतियोगिता के फाइनल मुकाबले में कजाकिस्तान की महिला बॉक्सर को बड़े अंतर से हराया है।
गुरसीरत कौर का कहना है कि प्रतियोगिता में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना गर्व की बात है। मेरा मकसद आगे भी हर प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतना और देश, शहर, माता-पिता और कोच का नाम रोशन करना है।
गुरसीरत कौर ने बताया कि फाइनल में उनका मुकाबला कजाकिस्तान की मुक्केबाज के साथ था। फाइनल से पहले वह थोड़ा नर्वस भी थी। क्योंकि वह खिलाड़ी जो आपने पहले कभी नहीं देखा, उसके खेल के बारे में आपको कोई जानकारी नहीं है उससे आपका निर्णायक मुकाबला हो तो थोड़ा नर्वस होती है। वहीं, फाइनल के पहले राउंड में गुरसीरत कजाकिस्तान के बॉक्सर से पिछड़ गई थी। लेकिन फिर भी गुरसीरत ने हिम्मत नहीं हारी। दूसरे और तीसरे दोनों राउंड में गुरसीरत ने कमबैक करते हुए कजाकिस्तान की मुकेबाज को 5-0, 5-0 के अंतर से हराकर खिताब जीता है।
गुरसीरत ने कहा कि जब मैंने प्रतियोगिता में गोल्ड जीता और उसका बाद हमारा नेशनल फ्लेग सबसे ऊपर था वह मेरे लिए एक प्राउड मोमेंट था। गुरसीरत ने कहा कि अभी सफर बहुत लंबा है। कामनवेल्थ गेम्स और ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना सपना है। इसके लिए वह अभी से ही तैयारियों में जुट गई हैं।
कैसे शुरू की बॉक्सिंग
गुरसीरत ने बताया कि बचपन में ही उनका वजन बढ़ने लगा था। वजन कम करने के लिए घरवालों ने गुरसीरत को स्पोर्ट्स में डाल दिया। इसके लिए उन्हें बॉक्सिंग शुरू करवाई गई। शुरुआत में बॉक्सिंग ग्लव्स पहनने के बाद हुए धीरे-धीरे मुक्केबाजी में मजा आने लगा। इसके बाद गुरसीरत ने बॉक्सिंग को ही करियर बनाने की ठान ली।
मम्मी ही मेरी बैक बोन
गुरसीरत ने कहा कि बॉक्सिंग के लिए उन्हें सबसे ज्यादा फैमिली का सपोर्ट है। मम्मी पापा की वजह से ही वह इस मुकाम तक पहुंची हैं। गुरसीरत ने कहा कि मम्मी ही मेरी बैक बोन है। क्योंकि इस सफलता और यहां तक पहुंचने के पीछे सबसे बड़ा हाथ मेरी मां का है। क्योंकि खेल के साथ पढ़ाई को भी एकसाथ लेकर चलना मुश्किल होता है। लेकिन गुरसीरत की मां उनके लिए सब कुछ मैनेज करती हैं।