मध्य प्रदेश के चंबल इलाके में बाढ़ और बारिश ने किसानों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया था और अब प्रशासन का सिस्टम उन्हें परेशान कर रहा है। प्रदेश के कृषि मंत्री ऐदल सिंह कंसाना के गृह जिले मुरैना में खाद की इतनी किल्लत है कि किसान तीन-चार दिन से दिन-रात लाइन में खड़े होकर इंतजार कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है। किसानों की कतारों की तस्वीरें सरकारी उन दावों की पोल खोलती दिख रही हैं, जिनमें बताया जा रहा है कि खाद की कोई किल्लत नहीं है।
तस्वीरों में आप ये लंबी-लंबी लाइन देख रहे हैं ये वो बेबस किसान हैं, जो खाद के लिए दर्द भटक रहे हैं। कृषि मंत्री के गृह जिले में किसान इस कदर परेशान और लाचार हैं कि दिन-रात लाइन में खड़े होने के बावजूद इनको खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है। वह तीन-चार दिन से अंधेरी रात और दिन में भीषण गर्मी के दौरान सिर्फ इसी इंतजार में खड़े हुए हैं कि उन्हें एक बोरी खाद की मिल जाए, लेकिन इन्हें खाद नसीब नहीं हो पा रही है। हालात ये हैं कि बच्चों से लेकर युवा और बुजुर्ग इस लाइन में पिछले तीन-चार दिन से लगे हुए हैं और अपना दर्द बयां कर रहे हैं।
भूखे-प्यासे लाइन में
प्रदेश के कृषि मंत्री ऐदल सिंह कंसाना के गृह जिले मुरैना में यह हालात सिर्फ एक या दो दिन के नहीं बल्कि पिछले 15 दिनों से यही तस्वीर देखने को मिल रही है जो सिस्टम पर कई सवाल खड़ी कर रही है.. खाद के लिए पिछले कई दिनों से इंतजार कर रही महिलाएं अपने बच्चों और परिवारों के लिए बिना खाना बनाए सुबह ही निकल आती हैं और दिनभर लाइन में खाद के लिए खड़ी रहती हैं। महिला किसानों का कहना है कि वह सुबह 7:00 बजे ही वह घर से खाद लेने के लिए निकल आती है इस दौरान घर पर बच्चे भूखे रहते हैं और वह खुद भूखी रहकर दिनभर लाइन में खड़ी रहती हैं। वही यही हालत किसने की भी है जो पिछले चार दिन से भूखे प्यासे यहां पर खाद के लिए पड़े हुए हैं ना तो इन्हें पानी नसीब हो पा रहा और न हीं एक बोरी खाद के लिए वह खाना खाने घर पर जा पा रहे है। किसानों का आरोप है कि प्रशासन की मिलीभगत के कारण खाद ब्लैक में बेची जा रही है। एक-एक व्यक्ति 20-20 कट्टे लेकर यहां से गुजर रहा है, लेकिन इन किसानों के लिए एक बोरी प्रशासन के पास उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
बता दें कि किसानों को रवि की फसल बोबनी करनी है। इसके लिए उन्हें डीएपी और यूरिया खाद की आवश्यकता है। यही वजह है कि वह खाद के लिए खाद वितरण केंद्र पर सुबह 4 बजे से आकर टोकन के लिए लाइन लगा लेते हैं। इससे उन्हें टोकन मिल जाए तो वह खाद उठा सकें, लेकिन यहां तो उन्हें चार दिनों में भी टोकन मिल ही नहीं पा रहा है। टोकन किसानों की जगह खाद की कालाबाजारी करने वाले दलाल पहले ही लेकर चले जाते हैं। वहीं इसको लेकर जब मुरैना तहसीलदार कुलदीप दुबे से सवाल किया तो वह गोल-गोल जवाब देते हुए नजर आए। उनका कहना है कि किसानो की सख्या एक साथ ज़्यादा हो गई है इसलिए ये परेशानी आ रही है।