धार्मिक मान्यता के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का अवतरण हुआ था। इसलिए हर साल इस तिथि पर गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर गणपति बप्पा की स्थापना की जाती है और उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि घर में गणेश स्थापना के दौरान विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। गणेश स्थापना के नियम (Ganesh Chaturthi Niyam) का पालन न करने से पूजा का शुभ फल प्राप्त नहीं होता है। आइए जानते हैं गणेश स्थापना के नियम के बारे में।
गणेश स्थापना के नियम
अगर आप बाजार से गणेश जी की प्रतिमा ले रहे हैं, तो ध्यान रखें कि प्रतिमा कही से खंडित नहीं होनी चाहिए। क्योंकि सनातन धर्म में मंदिर में देवी-देवताओं की खंडित मूर्ति को रखना वर्जित है।
गणेश स्थापना से पहले घर और मंदिर की विशेष साफ-सफाई करें। माना जाता है कि गंदगी वाली जगह पर देवी-देवताओं का वास नहीं होता है। इसलिए सफाई करने के बाद गंगाजल का छिड़काव जरूर करें।
गणेश स्थापना के दौरान विशेष बात का ध्यान जरूर रखें कि प्रभु की प्रतिमा को शुभ दिशा में विराजमान करना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, भगवान शिव के पुत्र भगवान गणेश जी की प्रतिमा को उत्तर दिशा में स्थापित करें। गणपति बप्पा का मुख घर के मुख्य दरवाजे की ओर होना चाहिए।
इसके अलावा भगवान गणेश की प्रतिमा की पूर्व दिशा में कलश रखें और दक्षिण पूर्व में देसी घी का दीपक जलाएं।
माना जाता है कि गणेश जी को लाल रंग प्रिय है। ऐसे में गणेश स्थापना के दौरान लाल रंग के वस्त्र धारण करके पूजा-अर्चना करें और लाल रंग के फूल अर्पित करें।
गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 06 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 07 सितंबर को संध्याकाल 05 बजकर 37 मिनट पर होगा। ऐसे में 07 सितंबर को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी।