
गोवा के शिरगाओ गांव में लैराई देवी मंदिर में भगदड़ मचने से कम से कम छह लोगों की मौत हो गई और 50 से ज़्यादा लोग घायल हो गए। यह घटना शनिवार तड़के हुई। शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस घटना के पीछे भीड़भाड़ और उचित व्यवस्थाओं की कमी को संभावित कारण माना जा रहा है।
गोवा के सीएम ने घायलों का जाना हालचाल
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत शनिवार को घायलों का हालचाल जानने अस्पताल पहुंचे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भीड़ के एक हिस्से के नियंत्रण खो देने के बाद स्थिति बिगड़ गई। स्थानीय लोगों और मंदिर के स्वयंसेवकों ने लोगों को सुरक्षित निकालने का प्रयास किया।
भगदड़ उस समय हुई जब मंदिर में सदियों पुरानी रस्म को देखने और उसमें हिस्सा लेने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े थे, जहां लोग नंगे पांव ‘धोंड’ जलते अंगारों पर चलते हैं।
पीएमओ की ओर से पोस्ट कर जताया गया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय की ओर से इस भगदड़ को लेकर एक्स पर पोस्ट कर दुख जताया गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने पोस्ट किया, “गोवा के शिरगाओ में भगदड़ के कारण हुई जान-माल की हानि से दुखी हूं। अपने प्रियजनों को खोने वालों के प्रति संवेदना। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। स्थानीय प्रशासन प्रभावित लोगों की सहायता कर रहा है।”
राष्ट्रपति ने दुख प्रकट किया
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी गोवा में लैराई देवी जात्रा के दौरान हुई भगदड़ में हुई मौतों पर दुख व्यक्त किया और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की।
हर सास आते हैं 50 हजार से अधिक श्रद्धालु
श्री लैराई यात्रा हर साल उत्तरी गोवा में आयोजित की जाती है, जिसमें 50,000 से अधिक श्रद्धालु आते हैं। भगदड़ तब हुई, जब मार्ग पर ढलान के कारण भीड़ एक साथ तेजी से आगे बढ़ने लगी। रिपोर्टों के अनुसार, घायलों को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
यह भगदड़ श्री लैराई देवी यात्रा के दौरान हुई, जो शुक्रवार को शुरू हुई थी, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हुए थे। यात्रा की व्यवस्था के लिए लगभग 1,000 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था।
भीड़ की गतिविधियों पर हवाई निगरानी के लिए ड्रोन भी लगाए गए थे। शुक्रवार को इससे पहले मुख्यमंत्री सावंत, उनकी पत्नी सुलक्षणा, राज्यसभा सांसद सदानंद शेट तनावड़े और विधायक प्रेमेंद्र शेट और कार्लोस फरेरा ने यात्रा का दौरा किया था।
क्या है प्रथा?
यह मंदिर उत्तरी और दक्षिणी स्थापत्य शैली के मिश्रण के लिए जाना जाता है, यहां हर साल मई में शिरगाओ जात्रा का आयोजन किया जाता है। इस त्यौहार में पारंपरिक अग्नि-चलन अनुष्ठान होता है, जो हज़ारों भक्तों को आकर्षित करता है।