जंगलराज गया, जॉबराज लाओ… मोदी ने नेताओं को समझाया पीढ़ीगत अंतर

प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ हुई बैठक में जेन-जी और युवाओं को जोड़ने के कुछ मंत्र दिए। इसके साथ ही उन्होंने मौजूदा रणनीति में कुछ बदलाव और उसे विस्तार देने को कहा।

जीवित अनुभव और सुनी हुई कहानी या चेतावनी में फर्क होता है। यह फर्क प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा नेताओं को समझा दिया। बिहार में पूरी पीढ़ी है, जो जंगलराज की याद कर सहम जाती है। भाजपा या राजग का पूरा चुनावी अभियान इसी जंगलराज के इर्द-गिर्द सिमटा हुआ चल रहा था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस रणनीति पर टीम भाजपा और राजग को लाल झंडी दिखा दी है। उन्होंने कहा कि युवा इसे इतिहास के रूप में जानता है, वर्तमान खतरे के रूप में नहीं। इसलिए उसके लिए जंगलराज भय से ज्यादा बीता हुआ युग है।

मोदी ने दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ हुई बैठक में जेन-जी और युवाओं को जोड़ने के कुछ मंत्र दिए। इसके साथ ही उन्होंने मौजूदा रणनीति में कुछ बदलाव और उसे विस्तार देने को कहा। दरअसल, बिहार में कुल 7.43 करोड़ मतदाताओं में 16.5 लाख से ज्यादा जेन-जेड युवा पहली बार वोट डालने जा रहे हैं। इनके लिए प्राथमिक मुद्दे रोजगार, माइग्रेशन स्किल डेवलपमेंट और डिजिटल कनेक्टिविटी हैं।

भाजपा ने जो अपना सर्वे कराया, उसमें यह बात सामने आई कि युवा सोशल मीडिया पर अपनी पहचान और राजनीतिक राय को प्राथमिकता देते हैं। कानून-व्यवस्था को ‘सेकंडरी इश्यू’ मानते हैं। ऐसे में जब राजद और महागठबंधन ‘बेरोजगारी राज’ का नैरेटिव चला रहे हैं, तो भाजपा को भी इसकी काट के रणनीति में परिवर्तन करना होगा।

युवाओं के लिए जंगलराज सिर्फ डाटा

1990–2005 के दौर के मतदाता के लिए जंगलराज एक जीवित अनुभव था। मतलब अपहरण, हफ्ता वसूली, रात का डर और थानों में गुंडों का दबदबा, लेकिन 2000 के बाद जन्मे युवाओं के लिए यह सिर्फ कहानी है। घर में सुनाई गई चेतावनी की तरह कि बेटा…उस वक्त तो लोग शाम को लोग घरों से निकलने से डरते थे। नए वोटर के लिए जंगलराज अब डर नहीं, डाटा है। वो अपराध की कहानी सुनता है, पर नौकरी की कहानी चाहता है।

2.5 करोड़ नौकरी देना संभव नहीं

राजद के चेहरे तेजस्वी यादव ने हर घर से सरकारी नौकरी का वादा किया है। हालांकि भाजपा, जनसुराज ही नहीं, बल्कि जानकार भी इसे शिगूफा करार दे रहे हैं। 2.5 करोड़ सरकारी नौकरी देना संभव नहीं..ये समझदार जानते हैं, लेकिन चुनाव में वादे और दावे भी चलते हैं।

भाजपा के अपने सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि कानून-व्यवस्था बेहतर होना अनिवार्य है, लेकिन रोजगार और सम्मान की कमी उनमें क्षोभ पैदा करती है। युवाओं में कुछ वर्ग ऐसा भी तैयार हुआ है कि जंगलराज याद दिलाओ तो वे पूछते हैं कि चलिए मान लिया सब ठीक है, लेकिन नौकरी कब मिलेगी?

पुराना सिस्टम लौटा तो हो जाएगा सब बर्बाद

मोदी ने इस पीढ़ीगत अंतर को पकड़ते हुए कार्यकर्ताओं को सलाह दी कि माता-पिता से ट्रांसफर हुई भावनात्मक स्मृति को मजबूत करें। उन्होंने कहा कि बेटे-बेटियों को बताओ कि उनके माता-पिता के दौर में शाम को घर से निकलना ही खतरे से भरा था। आज स्थिरता है, लेकिन अगर पुराना सिस्टम लौटा तो सब बर्बाद। राजग अब इन्हें लक्षित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का प्रचार तेज करेगा।

नवादा में 3.64 लाख जेन-जी वोटर

नवादा जिले के आंकड़े इसकी मिसाल हैं। यहां कुल 17.16 लाख मतदाताओं में 3.64 लाख जेन-जी वोटर हैं, जिनमें से ज्यादातर पहली बार वोट डालेंगे। ये युवा पारंपरिक वोटबैंक से हटकर रोजगार, शिक्षा और डिजिटल विकास पर जोर दे रहे हैं। सर्वे में यह भी पता चला कि बिहार के युवा सरकारी नौकरियों और 100 फीसदी डोमिसाइल पॉलिसी की मांग कर रहे हैं।

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