बिहार में हर साल कैंसर के 1 लाख 20 हजार नए मरीजों की पहचान हो रही है। पहले से पीड़ित लगभग तीन लाख से ज्यादा कैंसर मरीज बाहरी राज्यों में इलाज कराने जा रहे हैं। दिल्ली एम्स, टीएमच मुंबई के अलावा दिल्ली-मुंबई व दक्षिण भारत के निजी कैंसर संस्थानों में भी मरीजों की भीड़ रहती है। जानकारों के अनुसार राज्य में 80 से 90 प्रतिशत मुंह, फेफड़े, आंत नली, गॉल ब्लाडर आदि कैंसर का कारण तंबाकू ही है।
डॉ. आलोक रंजन बताते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्ययन के अनुसार कैंसर मरीजों की संख्या में 2040 तक बढ़ोतरी होने वाली है। इसमें सबसे ज्यादा बढ़ोतरी गरीब और संसाधनहीन देशों व राज्यों में होगी। वहां कैंसर की जानकारी अंतिम स्टेज में मरीजों को मिलती है। बिहार में भी कैंसर मरीजों के तेजी से बढ़ने की आशंका है। राज्य में सबसे अधिक पुरुष मुंह, गॉल ब्लाडर के कैंसर से पीड़ित हैं। तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट, गुटका, पान मसाला, शराब आदि के प्रयोग से युवाओं में तेजी से कैंसर फैल रहा है।
इसके अलावा पुरुषों में लिवर का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और आंत का कैंसर भी प्रमुख है। 10 से 20 प्रतिशत लोगों में मोटापा व पारिवारिक इतिहास भी कैंसर का बड़ा कारण है, जबकि महिलाओं में स्तन कैंसर और बच्चेदानी के कैंसर के मामले भी ज्यादा हैं।
एडवांस स्टेज में मिलते हैं ज्यादा मरीज
ब्रेन ट्यूमर और ब्लड कैंसर के 80 या 90 प्रतिशत केस एडवांस स्टेज में सामने आ रहे हैं। अलग-अलग अस्पतालों के कैंसर विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार यह तथ्य सामने आया है। जानकारी के अनुसार राज्य में सिर्फ 15 प्रतिशत मामले ही स्टेज एक में सामने आते हैं। 50 प्रतिशत मामले स्टेज दो अथवा तीन में पहुंचते हैं। खैनी, गुटखा, आदि के सेवन को रोककर 60 से 70 प्रतिशत कैंसर मरीजों की संख्या में कमी लाई जा सकती है।
स्तन कैंसर के मरीज बढ़े
महावीर कैंसर संस्थान की डॉ. विनीता त्रिवेदी बताती हैं कि सही समय पर पहचान हो तो 90 प्रतिशत मामले में स्तन कैंसर पूरी तरह से ठीक हो सकता है। किसी महिला की उम्र 40 वर्ष से अधिक हो, स्तन अथवा कांख में गांठ के लक्षण है। तो इसकी जांच कराना चाहिए। ज्यादा उम्र में शादी, ज्यादा उम्र में मां बनना, लगातार गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन, मोटापा और पारिवारिक इतिहास भी इसका बड़ा कारण है।