
नई दिल्ली में दक्षिण एशिया के गणितीय योगदान और पांडुलिपियों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी शुरू हो रही है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर इसका उद्घाटन करेंगे। पूर्व आईएएस केएन श्रीवास्तव ने कहा कि यह आयोजन पीएम मोदी की सोच के अनुरूप है। प्रदर्शनी में आर्यभट्ट से लेकर रामानुजन और सीआर राव तक के योगदान दिखाए जाएंगे।
नई दिल्ली में दक्षिण एशिया के गणितीय योगदान और पांडुलिपियों की विरासत पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। पूर्व आईएएस अधिकारी एवं इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के निदेशक केएन श्रीवास्तव ने कहा कि यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस सोच से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने दुनिया से भारत के पारंपरिक ज्ञान को साझा करने की बात कही थी। प्रदर्शनी का उद्घाटन विदेश मंत्री एस. जयशंकर आज यानि चार सितंबर को करेंगे।
सम्मेलन से पहले पूर्व आइएएस केएन श्रीवास्तव ने कहा कि यह प्रदर्शनी हाल ही में तियानजिन, चीन में हुए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी द्वारा प्रस्तावित ‘सभ्यतागत संवाद मंच’ की दिशा में एक कदम है। पीएम मोदी ने कहा था कि दक्षिण एशिया की प्राचीन परंपराओं और साहित्य को वैश्विक मंच तक पहुंचना चाहिए। इस प्रदर्शनी का उद्देश्य प्राचीन गणितीय ज्ञान को दुनिया के सामने रखना है।
सम्मेलन का महत्व और उद्देश्य
विदेश मंत्रालय के सहयोग से हो रहे इस सम्मेलन में पांडुलिपियों, मूर्तिकला, शिलालेख और पाम पत्तों पर लिखे ज्ञान के संरक्षण पर चर्चा होगी। श्रीवास्तव ने बताया कि आगे भी कई विषयों पर ऐसे सम्मेलन होंगे, जिनमें श्रुति-स्मृति, मौखिक परंपरा और पांडुलिपियों से जुड़े योगदान को प्रस्तुत किया जाएगा। उनका कहना है कि यह आयोजन वैश्विक स्तर पर भारतीय ज्ञान को जोड़ने में मदद करेगा।
सम्मेलन से पहले पूर्व आइएएस केएन श्रीवास्तव ने कहा कि यह प्रदर्शनी हाल ही में तियानजिन, चीन में हुए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी द्वारा प्रस्तावित ‘सभ्यतागत संवाद मंच’ की दिशा में एक कदम है। पीएम मोदी ने कहा था कि दक्षिण एशिया की प्राचीन परंपराओं और साहित्य को वैश्विक मंच तक पहुंचना चाहिए। इस प्रदर्शनी का उद्देश्य प्राचीन गणितीय ज्ञान को दुनिया के सामने रखना है।
सम्मेलन का महत्व और उद्देश्य
विदेश मंत्रालय के सहयोग से हो रहे इस सम्मेलन में पांडुलिपियों, मूर्तिकला, शिलालेख और पाम पत्तों पर लिखे ज्ञान के संरक्षण पर चर्चा होगी। श्रीवास्तव ने बताया कि आगे भी कई विषयों पर ऐसे सम्मेलन होंगे, जिनमें श्रुति-स्मृति, मौखिक परंपरा और पांडुलिपियों से जुड़े योगदान को प्रस्तुत किया जाएगा। उनका कहना है कि यह आयोजन वैश्विक स्तर पर भारतीय ज्ञान को जोड़ने में मदद करेगा।
युवाओं के लिए विशेष संदेश
दो दिन के इस सम्मेलन और प्रदर्शनी का उद्देश्य युवाओं को आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त और भास्कर द्वितीय जैसे प्राचीन गणितज्ञों के योगदान से परिचित कराना है। श्रीवास्तव ने कहा कि यह हमारे युवाओं के लिए बेहद फायदेमंद होगा और दुनिया को प्राचीन भारत की उपलब्धियों से अवगत कराएगा।
दक्षिण एशियाई पांडुलिपि इतिहास और पाठ्य संग्रह (SAMHiTA) की परियोजना निदेशक सुधा गोपालकृष्णन ने कहा कि गणित का असर संगीत, नृत्य, वास्तुकला और मूर्तिकला जैसे क्षेत्रों में भी देखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में भास्कर की प्रसिद्ध पुस्तक ‘लीलावती’ जैसे पाठों को शिक्षा प्रणाली में शामिल करने के नए तरीकों पर चर्चा होगी। इससे शिक्षा को रोचक और प्रयोगात्मक बनाया जा सकता है।
प्रदर्शनी और प्रमुख व्यक्तित्व
यह प्रदर्शनी पांच से 14 सितंबर तक इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित होगी। इसमें प्राचीन से आधुनिक गणितज्ञों जैसे आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त, भास्कर द्वितीय, श्रीनिवास रामानुजन और सीआर राव के योगदान को प्रदर्शित किया जाएगा। उद्घाटन सत्र में पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन और प्रख्यात गणितज्ञ प्रो. मंजीत भार्गव का संबोधन होगा। यह आयोजन आईआईटी बंबई के सेंटर फॉर ट्रेडिशनल इंडियन नॉलेज सिस्टम्स एंड स्किल्स और विदेश मंत्रालय के सहयोग से हो रहा है।
वैश्विक दृष्टिकोण और भारतीय योगदान
सम्मेलन में गणित के ऐतिहासिक विकास और एशियाई ज्ञान प्रणालियों के बीच हुए आदान-प्रदान पर भी विचार किया जाएगा। आयोजकों का कहना है कि इससे भारत की बौद्धिक विरासत को न केवल संरक्षित किया जाएगा बल्कि वैश्विक समुदाय से भी जोड़ा जाएगा। यह आयोजन भारतीय गणितीय परंपराओं को उजागर करने के साथ-साथ दुनिया को यह संदेश देता है कि भारत की सभ्यता और ज्ञान परंपरा कितनी गहरी और व्यापक रही है।