राजधानी में हवा की सेहत सुधर नहीं रही है। बीते आठ वर्षों में इस साल जनवरी में बेहद खराब श्रेणी के दिन बढ़ने से हवा सर्वाधिक प्रदूषित रही। आलम यह है कि एक भी दिन ऐसा नहीं रहा, जब हवा मध्यम या संतोषजनक श्रेणी में रही हो। ऐसे में लोग प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर हैं।
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सरकारी व प्रशासनिक दावों की कार्यप्रणाली पोल खोल रही है, जहां वर्ष 2016 में 22 दिन वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बेहद खराब श्रेणी में रहा। इस वर्ष जनवरी में 28 दिन हवा बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की गई। साथ ही, बीते वर्ष के मुकाबले खराब हवा के दिन भी घट गए। इससे लोगों ने जनवरी में सबसे अधिक दिन तक बेहद खराब श्रेणी में सांस लेनी पड़ी। विशेषज्ञ इसके पीछे की वजह प्रदूषण के खिलाफ दिशा-निर्देशों का सही तरह से पालन न करना मान रहे हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, इस वर्ष जनवरी में केवल एक ही दिन ऐसा रहा, जब हवा खराब श्रेणी में दर्ज की गई। जबकि वर्ष 2023 में 11 दिन ऐसे थे, जब हवा खराब श्रेणी में रही थी। वहीं, बीते वर्ष में एक दिन मध्यम श्रेणी में हवा दर्ज की गई थी। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि हवा की दशा सुधरने के बजाए इस बार हवा और बिगड़ गई है।
गंभीर श्रेणी के दिनों में आई कमी
सीपीसीबी के अनुसार, बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष जनवरी में कम दिन एक्यूआई गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। इस वर्ष केवल दो दिन हवा गंभीर श्रेणी में रही। साथ ही, वर्ष 2023 में तीन दिन ऐसे थे, जब एक्यूआई गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। ऐसे में लोगों को इस बार गंभीर श्रेणी की हवा से थोड़ी राहत तो मिली, लेकिन दूषित हवा में सांस लेने को मजबूर होना पड़ा।
एक भी दिन साफ नहीं रही हवा
जनवरी में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा, जब एक्यूआई 50 व 100 से नीचे रहा हो। इस सूचकांक में हवा अच्छी मानी जाती है। आकंड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2023 में केवल एक दिन हवा मध्यम श्रेणी में रही। वहीं, वर्ष 2022 में हवा केवल दो दिन अच्छी और तीन दिन मध्यम श्रेणी में दर्ज की गई।