दो दिन से पूरे दिल्ली पुलिस महकमे की नींद उड़ी हुई है। मंगलवार और बुधवार को राष्ट्रपति भवन, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय के अलावा 223 स्कूलों सहित करीब 300 जगह ईमेल कर बम से उड़ाने की धमकी मिली है। पुलिस का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर धमकी भरे ईमेल को अनदेखा नहीं किया जा सकता। यह किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है। ऐसे में पुलिस, दमकल विभाग समेत सभी संबंधित एजेंसियां जांच में शामिल हैं। जिन जगहों को बम से उड़ाने की धमकी दी गई, वहां सघन तलाशी ली गई है। पुलिस आरोपी तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि मंगलवार को ईमेल में फ्रांस, दक्षिण कोरिया, अमेरिका नीदरलैंड के सर्वर का इस्तेमाल किया गया है। वहीं, बुधवार के ई-मेल रूस के सर्वर के सहारे भेजे गए हैं। सभी में वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) का इस्तेमाल हुआ है। साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि इस तरह के ईमेल के लिए अमूमन वीपीएन टूल का इस्तेमाल होता है। इसे मोबाइल या लैपटॉप में डाउनलोड कर शरारती तत्व जांच एजेंसियों को गुमराह करने के लिए जानबूझकर विदेशी सर्वर चुनते हैं।
सामान्य मामलों में जब हम अपने इंटरनेट प्रोवाइडर की मदद से किसी को ई-मेल या सोशल मीडिया पर मैसेज करते हैं तो उसका इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस (आईपी एड्रेस), जहां से मैसेज भेजा जाता है, उसके सर्वर पर सेव हो जाता है। सामान्य मामलों में कोई भी जांच एजेंसी इस आईपी एड्रेस के सहारे आसानी से आरोपी तक पहुंच जाती है, लेकिन वीपीएन के मामले में ऐसा नहीं हाेता है। इससे शरारती तत्व जिस देश के सर्वर का चुनाव करता है, उस देश का सर्वर मैसेज या ईमेल करते समय उसी देश का एक नया आईपी एड्रेस बना देता है। ऐसे में वीपीएन के जरिये भेजे गए मैसेज के आईपी एड्रेस से आरोपी तक पहुंचने में खासी दिक्कत होती है।
एक ही व्यक्ति का हाथ होने की आशंका
इस तरह के मामलों में या तो उस देश की जांच एजेंसियों की मदद ली जाती है या इंटरपोल की मदद से उन तक पहुंचा जाता है। अमूमन इस प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है। मंगलवार और बुधवार किए गए सभी ईमेल के समय अलग-अलग देशों का सर्वर इस्तेमाल किया गया है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि दोनों ही मामलों में एक व्यक्ति का हाथ हो सकता है। पुलिस इसकी तह तक पहुंचने का प्रयास कर रही है।