तीन मैट वाला रेसलिंग हॉल, मेडिकल रूम, फिजियोथेरेपी सेंटर, जिम, स्टीम बाथ के साथ-साथ अन्य अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस छत्रसाल स्टेडियम हो या हनुमान अखाड़ा, चंदगीराम अखाड़ा जैसे अन्य अखाड़े, इनकी वजह से दिल्ली में कुश्ती की गुणवत्ता पहले के मुकाबले अब कई गुना बढ़ गई है। अकेले छत्रसाल स्टेडियम ने करीब 200 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय स्तर के रेसलर दिए हैं।
अमन सहरावत यहां से कुश्ती की नई सनसनी बनकर उभरे हैं। इन्होंने पुरुष वर्ग में 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया है। दिल्ली में खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय खेल सुविधाओं के साथ-साथ नई तकनीक और नए नियमों की जानकारी समय पर मिलती रहती है।
पद्मविभूषण, पद्मश्री और द्रोणाचार्य अवार्डी कुश्ती के दिग्गज कोच सतपाल पहलवान सालों से छत्रसाल स्टेडियम में रेसलर्स को कुश्ती का प्रशिक्षण दे रहे हैं। उन्होंने करीब प्रशिक्षक के रूप में अपने 36 साल के अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने सालों पहले छत्रसाल स्टेडियम को ओलंपिक खेलों में मेडल दिलाने के लिए लिहाज से तैयार किया था। यहां खेल सुविधाएं बढ़ने के साथ प्रतिभाशाली रेसलर्स की संख्या भी बढ़ती गई। इनके मार्गदर्शन में करीब 50 से ज्यादा ओलंपियंस निकले हैं।
गांव के अखाड़े से शुरू किया सफर
दिलचस्प यह है कि सतपाल पहलवान ने कुश्ती का सफर अपने गांव के अखाड़े से शुरू किया। फिर हनुमान अखाड़े से जुड़कर प्रशिक्षण लिया। उन्होंने स्वदेशी कुश्ती में कई खिताब जीते। इसके अलावा 1974, 1978 और 1982 के राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने में सफल रहे।
एशियाई खेलों में इन्होंने तेहरान में 1974 में कांस्य, बैंकाक 1978 में एक रजत और नई दिल्ली 1982 में गोल्ड मेडल जीते। 1988 से कुश्ती का प्रशिक्षण देना शुरू किया।
1972 में म्यूनिख और 1980 में मॉस्को ओलंपिक में लिया हिस्सा
दिल्ली के बवाना गांव में जन्मे सतपाल पहलवान ने 1972 में म्यूनिख और 1980 में मॉस्को ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वह शीर्ष स्तर के रेसलर रहे, लेकिन बतौर कोच वह अधिक लोकप्रिय रहे। इन्हें भारतीय कुश्ती के बेहतरीन पहलवानों को मेंटर करने का श्रेय जाता है। 2020 में टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक विजेता रवि कुमार दहिया और दो ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार इनके शिष्य रहे हैं। ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त ने भी सतपाल पहलवान से प्रशिक्षण लिया।