इस लिस्ट में इविवि के आठ विभागों के वैज्ञानिक शामिल किए गए हैं। भौतिक विभाग से डॉ. अशील कुमार, डाॅ. ठाकुर प्रसाद यादव, डाॅ. निति कांत एवं डॉ. आरके वर्मा, जैव रसायन विभाग के डॉ. अभय कुमार पांडेय, प्रो. बेचन शर्मा, प्रो. एसआइ रिजवी, डाॅ. मुनीश कुमार एवं डाॅ. आशुतोष गुप्ता, जैव प्रौद्योगिकी के डाॅ. मोहन प्रसाद सिंह को शामिल किया गया है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के 19 शिक्षकों ने दुनिया के शीर्ष दो फीसदी वैज्ञानिकों में जगह बनाई है। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने हर साल की तरह इस बार भी शीर्ष वैज्ञानिकों की लिस्ट जारी कर दी है, जिसमें दुनिया भर से 8.5 लाख वैज्ञानिकों को शामिल किया गया है।
इस लिस्ट में इविवि के आठ विभागों के वैज्ञानिक शामिल किए गए हैं। भौतिक विभाग से डॉ. अशील कुमार, डाॅ. ठाकुर प्रसाद यादव, डाॅ. निति कांत एवं डॉ. आरके वर्मा, जैव रसायन विभाग के डॉ. अभय कुमार पांडेय, प्रो. बेचन शर्मा, प्रो. एसआइ रिजवी, डाॅ. मुनीश कुमार एवं डाॅ. आशुतोष गुप्ता, जैव प्रौद्योगिकी के डाॅ. मोहन प्रसाद सिंह को शामिल किया गया है।
वहीं, रसायन विज्ञान विभाग के डाॅ. विशाल श्रीवास्तव एवं डाॅ. एमसी चटोपाध्याय, वायुमंडलीय एवं समुद्र अध्ययन केंद्र के डाॅ. सुधीर कुमार सिंह, वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रो. शिव मोहन प्रसाद, डाॅ. देवेंद्र कुमार चौहान एवं डाॅ. अश्विनी कुमार, पदार्थ विज्ञान केंद्र के डाॅ. मनोज कुमार, पर्यावरण विज्ञान केंद्र के डॉ. उमेश कुमार सिंह एवं डाॅ. अविनाश चंद्र पांडेय भी शीर्ष वैज्ञानिकों में शामिल हैं।
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की ओर से जारी डेटाबेस में वैज्ञानिकों को साइंस-मेट्रिक्स वर्गीकरण प्रणाली का उपयोग करके अलग-अलग वैज्ञानिक क्षेत्रों और 174 उप-क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है। अगस्त-2024 के अंत तक उनके पूरे करियर के डेटा को अपडेट किया गया है और सबसे हाल के वर्ष का डेटा शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में प्राप्त उद्धरणों की संख्या को दर्शाता है। शोध प्रकाशनों की संख्या, गुणवत्ता एवं साईटेशन के आधार कर शोधकर्ताओं की रैंकिंग की
गई है।भौतिक विज्ञान विभाग के युवा वैज्ञानिक डॉ. ठाकुर प्रसाद यादव ने भारत के हाइड्रोजन मैन के नाम से विख्यात पदमश्री प्रो. ओएन श्रीवास्तव के निर्देशन में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से अपना शोध कार्य किया है और पिछले वर्ष भी वह इस लिस्ट में शामिल थे। डॉ. यादव भौतिकी के नैनो पदार्थ, हाइड्रोजन संभरण और ऊर्जा भंडारण पर किए गए शोध कार्य के कारण सुर्खियों में रहे हैं। उनके १५० से अधिक शोध पत्र और 20 पाठ्य पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।