
यमुना में उफान आने से न केवल लोग बेघर हुए हैं बल्कि किसानों की सारी फसलें भी बर्बाद हो गई हैं। इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। बाढ़ ने दिल्ली वालों को मानसिक के साथ शारीरिक चोट भी पहुंचाई है। अपने आशियाने के साथ जमा-पूंजी बचाने के दौरान लगी चोटें शायद ही वह कभी भुला पाएं।
बाढ़ के बाद प्रभावित क्षेत्रों में जल और मच्छर जनित सहित कई दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। यमुना का पानी अब धीरे-धीरे उतर रहा है। ऐसे में मलेरिया, डेंगू, चिकगुनिया, हैजा, त्वचा और श्वसन संबंधी बीमारियों की चपेट में लोगों के आने की संभावना बढ़ गई है।
सफदरजंग अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग प्रमुख डॉ. जुगल किशोर ने कहा कि बाढ़ के आने और उसका पानी उतरने पर कई तरह की समस्या देखने को मिलती है। बाढ़ में सांप और दूसरे कीड़-मकौड़े के काटने की घटना बढ़ जाती हैं। बाढ़ से कुत्ते भी हमलावर होकर काट लेते हैं। बाढ़ की चपेट में आने पर व्यक्ति को डायरिया और आई फ्लू हो जाता है। जब बाढ़ का पानी कम होने लगता है तो मच्छर जनित बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही बाढ़ से प्रभावित ऐसे लोग जो पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे होते है दवा का सेवन न करने की वजह से उनकी परेशानी और बढ़ जाती है। ऐसे में लोग साफ-सफाई का जरूर ध्यान रखें।
बाढ़ प्रभावितों और मवेशियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता : कपिल
बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य तेज कर दिए गए हैं। शुक्रवार रात 9 बजे कला, संस्कृति एवं भाषा मंत्री कपिल मिश्रा ने पुराने रेलवे पुल के पास स्थित प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर हालात का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने विशेष रूप से उस गोशाला का भी दौरा किया जहां बाढ़ के पानी में फंसी मवेशी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार की टीमें और अधिकारी मौके पर तैनात हैं। रात 11 बजे के बाद गाड़ियों की मदद से इन पशुओं को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जाएगा। बाढ़ प्रभावित लोगों व पशुओं दोनों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। गोशाला में फंसे बछड़ों और गायों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने की पूरी व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने गोरक्षा दल के युवाओं की सेवा भावना की सराहना की जो लगातार तीन दिनों से गोशाला में फंसे पशुओं की देखभाल कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि जहां पशुओं को बाहर निकालना संभव नहीं है वहां उनके भोजन और देखभाल की व्यवस्था की जा रही है। सरकार की ओर से प्रभावित परिवारों के लिए भोजन, टेंट और अन्य जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
बर्बाद हो गईं फसलें, अब पानी उतरने का इंतजार
यमुना में उफान आने से न केवल लोग बेघर हुए हैं बल्कि किसानों की सारी फसलें भी बर्बाद हो गई हैं। इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में यमुना खादर, चिल्ला, पुराना उस्मानपुर, गढ़ी मांडू और सोनिया विहार के किसान यमुना का जलस्तर कम होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि वह फिर से खेतों में लौटकर नई फसलें लगा सकें। यमुना डूब क्षेत्र में किसानों ने अधिकतर सब्जी की फसलें उगाईं थीं। इनमें बैंगन, भिंडी, लौकी, मूली, गाजर, टमाटर, गोभी, मटर, आलू, प्याज और मिर्च समेत अन्य फसलें शामिल थीं। किसानों ने बताया कि वह फसलें उगाने के लिए जमीन को पट्टे पर लेते हैं। इसके लिए वह अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और बैंकों से लोन लेते हैं। उनका कहना है कि उगाई हुई फसलों में से कुछ हिस्सा वह अपनी जरूरतों के मुताबिक रख लेते हैं, बाकी कि फसलें वह पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार फेस-1, मयूर विहार फेस-2, पांडव नगर, त्रिलोकपुरी, लक्ष्मी नगर, शकरपुर, गाजीपुर अनाज मंडी व अन्य इलाको में बेच देते हैं। फसल बेचकर जो पैसे आते हैं, उसी से ब्याज और उधार के पैसे देते हैं लेकिन बाढ़ ने सब कुछ बर्बाद कर दिया है।
यमुना की बाढ़ ने दी मानसिक व शारीरिक चोट
पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार पल्ला क्षेत्र में आई बाढ़ ने दिल्ली वालों को मानसिक के साथ शारीरिक चोट भी पहुंचाई है। अपने आशियाने के साथ जमा-पूंजी बचाने के दौरान लगी चोटें शायद ही वह कभी भुला पाएं। यही नहीं, यमुना नदी के उफान ने न केवल लोगों के घर उजाड़े, बल्कि उनकी सेहत पर भी गहरा असर डाला है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में बने राहत शिविरों में चोटिल और बीमार लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है। शनिवार को विभिन्न राहत शिविरों में 200 से अधिक लोगों का इलाज किया गया, जिनमें बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा रही। ऐसे में जो सरकारी और निजी संस्थाएं कभी इन लोगों तक पहुंचती भी नहीं पाती थीं, मौजूदा समय में वह उनकी इन घावों को भरने का प्रयास कर रहीं हैं। इसके लिए संस्थाएं शिविरों में मेडिकल कैंप लगाकर सेवाएं दे रही हैं। कैंपों में मौजूद डॉक्टरों के अनुसार कैंप में गंभीर चोटें लगने वाले मरीजों की संख्या अधिक है। बाढ़ के पानी में डूबने, फिसलने और मलबे से चोटिल होने के कई मामले सामने आए हैं। डॉ. प्रिंस ने बताया कि राहत शिविर में शनिवार को ही 200 से अधिक लोग कैंप में चिकित्सा सुविधा लेने पहुंचे। इनमें बच्चों और पुरुषों में ज्यादातर हाथों में गहरे कट, सिर पर चोट और पैरों में गंभीर घाव जैसी दिक्कतें देखने को मिलीं।