
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे यूपी के सियासी मैदान पर भी असर डालेंगे। इसलिए वहां की जनता से ज्यादा यूपी के भाजपा नेताओं को बिहार चुनाव के नतीजों का इंतजार है। भाजपा ने बिहार में टिकट बंटवारे से लेकर सामाजिक व जातीय समीकरण मजबूत करने के लिए कई फैसले लिए।
चुनाव परिणाम पर पड़ने वाले इनके असर का अध्ययन करने के बाद पार्टी यूपी विधानसभा चुनाव 2027 की रणनीति बनाएगी। इससे पहले पंचायत चुनाव में इस रणनीति का परीक्षण भी किया जाएगा। बिहार चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने टिकट बंटवारे में जातीय व सामाजिक समीकरण साधने के लिए पिछड़े व दलित वर्ग को तरजीह दी। पार्टी ने इसके जरिये संदेश देने की कोशिश की है कि इसी फार्मूले पर यूपी में भी सियासी पिच तैयार की जाएगी।
एनडीए में सहयोगी दल जदयू ने भी बिहार में टिकट बंटवारे में जातिगत समीकरणों का ख्याल रखा है। लोकसभा चुनाव के प्रयोग को दोहराते हुए टिकट बंटवारे में पिछड़े व दलित वर्ग के साथ ही कुशवाहा समाज से आने वालों को तवज्जो दी गई है। कहा जा रहा है कि 243 सदस्यीय विधानसभा वाले बिहार में टिकट बंटवारे के फार्मूले से साफ है कि यूपी में विपक्ष को पटखनी देने के लिए भाजपा पिछड़ा व अतिपिछड़ा वर्ग को साधने की रणनीति बनाकर आगामी चुनावों में उम्मीदवार चुनेगी। इसके लिए लखनऊ से दिल्ली तक मंथन हो रहा है। यही नहीं, प्रदेश भाजपा के रणनीतिकारों ने इस दिशा में काम शुरू भी कर दिया है। पार्टी के विभिन्न अभियानों में इसी पर फोकस किया जा रहा है, जो संकेत दे रहा है कि पीडीए की चुनौती का सामना करने के लिए भाजपा ने कमर कस ली है।
बिहार में एनडीए का ताना-बाना
बिहार में भाजपा ने अपने हिस्से की सीटों में से पिछड़ा वर्ग के 6 यादव समेत कुल 24 और अति पिछड़ा वर्ग के 16 लोगों को मौका दिया है। वहीं राजपूत, भूमिहार और कायस्थ समाज के 49 लोगों को मैदान में उतारकर सामाजिक समीकरण दुरुस्त किया है। भाजपा ने अनुसूचित जाति में सबसे ज्यादा उम्मीदवार पासवान जाति से दिए हैं। वहीं, जदयू ने अपने हिस्से की सीटों पर पिछड़ा वर्ग के 37 और अति पिछड़ा वर्ग के 22 उम्मीदवारों को उतारा है। इसमें 8 उम्मीदवार यादव हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि यूपी चुनाव में भी एनडीए इसी रणनीति से पीडीए की काट करेगी।
लोकसभावार बनेगा क्लस्टर
सूत्रों के मुताबिक, बिहार में सरकार की वापसी के लिए माइक्रो लेवल पर रणनीति तैयार की गई है। जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं की क्रियाशीलता के साथ मौजूदा विधायकों के बारे में फीडबैक जुटाने के लिए पार्टी नेतृत्व ने बिहार में लोकसभावार क्लस्टर बनाकर रणनीति तैयार की है। अगर रणनीति सफल रही तो यूपी में भी इसे लागू किया जाएगा।



