
ब्रिटेन की हाई-सिक्टोरिटी जेलों के अंदर से एक चौंका देने वाली खबर बाहर आई है। यहां जेलों में इस्लामिक कट्टरपंथियों का दबदबा लगातार बढ़ता रहा है, जिस वजह से जेल प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां गंभीर चिंता में पड़ गई है।
2017 में मैनचेस्टर एरीना में बम धमाका हुआ था। इस धमाके के दोषी हाशिम अबेदी ने 12 अप्रैल को एचएमपी फ्रैंकलैंड जेल में तीन जेल अधिकारियों पर हमला कर दिया। अबेदी ने अपने साथियों के साथ मिलकर गरम तेल और धारदार हथियारों से हमले को अंजाम दिया।
अबेदी द्वारा किए गए इस हमले के बाद एक बार फिर से ब्रिटेन की जेलों में मजबूत होते चरमपंथी नेटवर्क को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। लंदन के एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रैंकलैंड जेल इस समय इस्लामिक गिरोहों के कब्जे में है, जहां कैदियों पर दबाव डालकर या धमकाकर अपने गिरोह में शामिल किया जा रहा है।
9/11 के बाद कट्टरपंथी कैदियों की कितनी हुई संख्या?
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अमेरिका में हुए 9/11 हमले के बाद ब्रिटेन में कट्टरपंथी कैदियों की संख्या में अचानक इजाफा हुआ था। 2017 तक ब्रिटेन की जेलों में आतंकवाद से जुड़े मुस्लिम कैदियों की संख्या 185 थी। 2024 तक यह संख्या घट गई और अब ये आंकड़ा 157 का है। लेकिन अभी भी ये सभी आतंकी कैदियों का 62% है।
पूर्व जेल गवर्नर इयान एचसन ने एक रिपोर्ट पेश की थी और बताया था कि कट्टरपंथियों की भर्ती और ब्रेनवॉश का अड्डा बन रही हैं जेलें। इस रिपोर्ट के बाद खतरनाक आतंकियों के लिए सेपरेशन सेंटर बनाए गए, लेकिन समस्या अब भी बनी हुई है।
जेल से चल रहा ड्रग्स और ब्लैकमनी का रैकेट
2019 की एक सरकारी रिपोर्ट में ये बताया गया कि कुछ जेलों में मुस्लिम ब्रदरहुड नाम से गिरोह सक्रिय हैं। इन गिरोह का संचालन लीडर, रिक्रूटर, एंफोर्सर और फॉलोवर्स के जरिए होता है। धर्म के नाम पर इन गिरोहों ने शरिया अदालतें भी बना ली है, जहां अन्य कैदियों को धार्मिक सजा भी दी जाती है।
ब्रिटेन की जेलों में 2002 में मुस्लिम कैदियों की संख्या 5500 थी। 2024 में ये संख्या बढ़ 16 हजार हो गई। अब कई जेलों में मुस्लिम ब्रदरहुड के नाम से ग्रुप बनाकर चला रहे हैं। एक पूर्व कैदी गैरी ने बताया कि ये गिरोह अब जेलें चला रहे हैं और धर्म के नाम वपर हिंसा, तस्करी और धमकियों का काम कर रहे हैं।
डर की वजह से गिरोहों पर सख्ती नहीं कर पाते हैं जेल स्टाफ
ब्रिटिश प्रिजन ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव स्टीव गिलन ने बताया कि आरोपों की डर की वजह से जेल स्टाफ इन गिरोहों पर सख्ती नहीं कर पाते हैं। उन्होंने बताया कि जागरूकता और ट्रेनिंग की वजह से हालात में सुधार आया है।
प्रिजन गवर्नर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मार्क इके ने कहा, “अब हम इन्हें बेहतर ढंग से मैनेज कर रहे हैं, लेकिन समस्या अभी भी बनी हुई है।”
एक्सपर्ट्स ने कार्रवाई करने की मांग की
सुरक्षा एक्सपर्ट्स का मानना है कि जेल प्रशासन हमेशा अपनी आलोचनाओं के दबाने की कोशिश करता है। अबेदी के हमले ने फिर से सुरक्षा पर सवाव खड़े किए हैं। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि जेलों में कट्टरपंथी इस्लामी गिरोहबाजी और अलगाववाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जाती, ब्रिटेन की जेलें ऐसे खतरों का अड्डा बनी रहेंगी।