भारतीय नौसेना के शीर्ष कमांडरों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी युद्धक क्षमता में पर्याप्त बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है। भारतीय नौसेना ने यह निर्णय हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल और इस क्षेत्र में दिख रहे भू-राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में लिया।
अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को यहां संपन्न चार दिवसीय नौसेना कमांडरों के सम्मेलन में व्यापक विचार-विमर्श के बाद समुद्री क्षेत्र में देश की युद्धक क्षमता को बढ़ाने का निर्णय लिया गया।
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कही ये बात
कमांडरों को संबोधित करते हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने तटरक्षक बल और अन्य समुद्री एजेंसियों के साथ घनिष्ठ तालमेल और कार्यात्मक संबंधों के माध्यम से समुद्री सुरक्षा और तट की रक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में सतर्कता बनाए रखने की जरूरत को रेखांकित किया।
नौसेना के अनुसार, एडमिरल ने नौसेना मुख्यालय में कमांड और कर्मचारियों से आह्वान किया कि वह एक संतुलित बहुआयामी और निर्बाध नेटवर्क आधारित सेना के रूप में विकसित करना जारी रखें जो राष्ट्रीय समुद्री हितों की रक्षा करने और इसे बढ़ावा देने समेत जवाब देने के लिए तैयार रहें। नौसेना प्रमुख ने समकालीन भू-रणनीतिक परि²श्य के साथ-साथ समुद्री क्षेत्र में उभरती रणनीति पर प्रकाश डाला।
नौसेना के बयान में कहा गया कि बल के लिए अल्प, मध्यम और लंबी अवधि के लिहाज से प्रमुख क्षेत्रों को गिनाते हुए उन्होंने दोहराया कि सभी नौसैनिक मंचों, उपकरणों, हथियारों एंवं सेंसर को युद्ध के लिए तैयार सुनिश्चित करने की आवश्यकता है जिनका एकमात्र ध्येय ‘लक्ष्य तक आयुध’ पहुंचाना है।
राजनाथ सिंह बोले- हमेशा रहें तैयार
कमांडरों ने आत्मनिर्भर भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के प्रति भी अटूट प्रतिबद्धता जताई। भारतीय बंदरगाहों में फिलहाल 64 पोत और पनडुब्बियां निर्माणाधीन हैं और 24 अतिरिक्त मंचों के निर्माण का आदेश दिया गया है।
अपने संबोधन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तेजी से बदल रहे वैश्विक परि²श्य के मद्देनजर कमांडरों से अपील की कि वह किसी भी सुरक्षा चुनौती से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहें। उन्होंने भारत की समग्र नौसैनिक शक्ति बढ़ाने की जरूरत को भी रेखांकित किया। कमांडरों ने लाल सागर और आसपास के क्षेत्रों से जुड़ी समग्र स्थिति पर चर्चा की।