भारत-चीन मिलकर अमेरिकी टैरिफ का करें सामना

चीन ने सोमवार को ट्रंप प्रशासन की तरफ से भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ को ‘अनुचित और गैर-जरूरी’ करार देते हुए इसका कड़ा विरोध किया। चीन के राजदूत शू फेहोंग ने कहा कि भारत और चीन को आर्थिक सहयोग बढ़ाकर इस चुनौती का संयुक्त रूप से सामना करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका टैरिफ को एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है और कई देशों से भारी कीमत वसूल रहा है। उन्होंने कहा ‘भारत और चीन दो बड़े उभरते हुए अर्थतंत्र हैं। हमें मिलकर इस स्थिति से निपटना होगा।’

‘भारत-चीन के बीच सीमा मुद्दों पर अहम सहमति बनी’
शू फेहोंग ने यह भी कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दों पर अहम सहमति बनी है और उनके रिश्ते किसी तीसरे देश, जैसे पाकिस्तान, से प्रभावित नहीं हुए हैं। राजदूत ने बताया कि 31 अगस्त को शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात में दोनों नेताओं ने आपसी सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। शू ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत-चीन का सहयोग 21वीं सदी को असली एशियाई सदी बना सकता है। दोनों नेताओं ने आर्थिक सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया।’

‘भारत और चीन दोनों आतंकवाद के शिकार’
वहीं आतंकवाद पर भी बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘भारत और चीन दोनों आतंकवाद के शिकार हैं। हम एससीओ, ब्रिक्स जैसे बहुपक्षीय मंचों के जरिए आतंकवाद विरोधी प्रयासों में सहयोग कर रहे हैं। चीन हर तरह के आतंकवाद का विरोध करता है और भारत समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।’ उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों को अपने संसाधनों का इस्तेमाल राष्ट्रीय विकास के लिए करना चाहिए। उन्होंने कहा. ‘हमें एक-दूसरे की मदद करते हुए विकास रणनीतियों को मजबूत करना चाहिए और आधुनिकता के अनुभव साझा करने चाहिए।’

राजदूत ने बताया कि इस साल अब तक भारतीय नागरिकों को 2.4 लाख से अधिक वीजा जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अधिक भारतीय कंपनियां चीन में निवेश और व्यापार करें, साथ ही भारत को भी चीनी कंपनियों के लिए निष्पक्ष और गैर-भेदभावपूर्ण माहौल उपलब्ध कराना चाहिए।

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