भारत-चीन सीमा से सटे गांवों से पलायन कर चुके लोगों की घर वापसी के लिए पलायन आयोग ने प्रदेश सरकार को कई सुझाव दिए हैं, जिसमें सामाजिक, आर्थिक विकास के साथ पलायन रोकने के लिए पर्यटन, कृषि, बागवानी, पशुपालन के साथ ही कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने की आयोग की सिफारिश की।
अब प्रदेश सरकार कई विभागों के माध्यम से गैर आबाद गांवों के लिए योजना बनाएगी। पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी ने बताया, आयोग ने पिथौरागढ़, उत्तरकाशी व चमोली जिले में चीन सीमा से सटे भटवाड़ी, जोशी, मुनस्यारी, धारचूला विकासखंड के तहत आने वाले गांवों में पलायन के कारणों का सर्वे किया।
इसमें पाया गया कि 11 गांवों से लोग पलायन कर चुके हैं। इन गांवों में कोई आबादी नहीं है। इन गांवों का मुख्य व्यवसाय कृषि, बागवानी व पशुपालन है। आयोग ने सरकार को सुझाव दिए कि सीमावर्ती गांवों में वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत क्लस्टर विकसित कर पर्यटन विकास को बढ़ावा दिया जाए।
इसके अलावा आजीविका के लिए ग्राम्य विकास व अन्य विभागों से कार्ययोजना बनाई जाए। सेब उत्पादन व अन्य बागवानी फसलों के लिए स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देने के साथ विपणन की व्यवस्था की जाए। सीमांत क्षेत्रों में जड़ी-बूटी की खेती और सीमावर्ती पर्यटन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। पर्यटन के लिए सीमा दर्शन योजना तैयार की जा सकती है।