भारतीय शेयर मार्केट फिलहाल अपने ऑलटाइम हाई के आसपास चल रहा है। ऐसे में कई कंपनियां अपना आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफर) लाकर इसे भुनाने की कोशिश कर रही हैं।
कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार बीते वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान कुल 272 कंपनियां आईपीओ लेकर आईं और शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हुईं। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान ऐसी कंपनियों की संख्या 164 थी।
सेबी का कहना है कि सेकेंडरी मार्केट में तेजी, खुदरा निवेशकों का उत्साह और मजबूत संस्थागत प्रवाह ने नई लिस्टिंग के लिए माहौल तैयार कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत को 3.4 लाख करोड़ रुपये का विदेशी निवेश मिला है। यह 1992-92 से अब तक किसी एक वित्त वर्ष में सबसे ज्यादा विदेशी निवेश है।
वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान विदेशी निवेशकों के भारतीय बाजारों से 40,936 करोड़ रुपये की निकासी की थी। सेबी ने कहा कि भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए विदेशी निवेश काफी महत्वपूर्ण है और 2023-24 के दौरान भारत को असाधारण विदेशी निवेश मिला है। इस समय विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का इक्विटी में कुल निवेश 64.2 लाख करोड़ रुपये है।
मंजूरी के बाद फटाफट आईपीओ ला रही कंपनियां
मार्केट रेगुलेटर सेबी की मंजूरी के बाद आईपीओ लाने में लगने वाला औसत समय 2022 में 137 दिन था। यह 2023 में घटकर 123 दिन और 2024 में अब तक 81 दिन रह गया। नियमों के मुताबिक, कोई भी कंपनी सेबी की मंजूरी मिलने के एक साल के भीतर अपना आईपीओ लॉन्च कर सकती है।
लेकिन, मार्केट की तेजी का फायदा उठाने के लिए कंपनी सेबी की मंजूरी के बाद जितनी जल्दी हो सके, आईपीओ लाने की कोशिश कर रही हैं। आईपीओ जल्दी लाने के लिए कंपनियां जरूरी तैयारियां भी पहले कर ले रही हैं, जो पहले अमूमन आईपीओ के बाद करती थीं।