‘संसद हमले के बाद भारत-पाकिस्तान में होने वाला था युद्ध’, पूर्व US अधिकारी का दावा

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व अधिकारी जॉन किरियाको ने भारत-पाकिस्तान संबंधों पर बात करते हुए कहा कि 2002 में दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका थी। उन्होंने पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद फैलाने और भारत के संयम की सराहना की। किरियाको ने आईएसआई में मतभेदों और अल-कायदा से पाकिस्तान के संबंधों का भी खुलासा किया।

अमेरिकी खुफिया एजेंसी, सीआईए के पूर्व अधिकारी जॉन किरियाको एएनाई को दिए इंटरव्यू में भारत पाकिस्तान का जिक्र किया है। किरियाको ने 9/11 के बाद पाकिस्तान में आतंकवाद-रोधी अभियानों का नेतृत्व करते हुए बिताए अपने वर्षों का जिक्र किया। उन्होंने इस्लामाबाद के साथ वाशिंगटन के असहज गठबंधन, आतंकवादी नेटवर्क के उदय और 2002 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान भारत-पाकिस्तान तनाव को लेकर बातचीत की।

पूर्व सीआईए अधिकारी जॉन किरियाको ने कहा कि हमें विश्वास था कि 2002 में भारत और पाकिस्तान युद्ध में उतरेंगे। इसलिए परिवार के सदस्यों को इस्लामाबाद से निकाल लिया गया था।

किरियाको ने दिसंबर 2001 में संसद पर हुए हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम को याद करते हुए कहा कि विदेश उप-सचिव आए और दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच आते-जाते रहे और एक समझौते पर बातचीत की, जिसके बाद दोनों पक्ष पीछे हट गए। लेकिन हम अल-कायदा और अफगानिस्तान में इतने व्यस्त और केंद्रित थे कि हमने भारत के बारे में कभी सोचा ही नहीं।”

पाकिस्तान भारत में आतंकवाद फैला रहा था

2008 के मुंबई हमलों पर विचार करते हुए किरियाको ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह अल-कायदा है। मुझे लगता है कि यह पाकिस्तान समर्थित कश्मीरी समूह हैं। और यही बात साबित हुई। असल बात यह थी कि पाकिस्तान भारत में आतंकवाद फैला रहा था और किसी ने कुछ नहीं किया।

उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में भारत की संयमित प्रतिक्रिया पर को लेकर कहा कि संसद हमलों और मुंबई हमलों के बाद भारत ने संयम दिखाया। सीआईए में, हमने भारतीय नीति को रणनीतिक धैर्य कहा था। लेकिन भारत अब उस मुकाम पर पहुंच गया है जहां वह रणनीतिक धैर्य को कमजोरी समझे जाने का जोखिम नहीं उठा सकता।

पाकिस्तान में दो ISI

पूर्व सीआईए अधिाकरी ने किरियाको ने पाकिस्तान के खुफिया तंत्र में गहरे मतभेदों का खुलासा करते हुए कहा, “वास्तव में दो समानांतर आईएसआई थीं। एक आईएसआई थी जिसके साथ मैं काम कर रहा था, सैंडहर्स्ट और एफबीआई द्वारा प्रशिक्षित नायक, और फिर एक और आईएसआई थी जो लंबी दाढ़ी वाले लोगों से बनी थी जिन्होंने इन कश्मीरी आतंकवादी समूहों या जैशी मोहम्मद को बनाया था।”

अल-कायदा के खिलाफ शुरुआती अमेरिकी अभियानों के बारे में बात करते हुए, उन्होंने अबू जुबैदा की गिरफ्तारी पर चर्चा की, जिसे गलती से अल-कायदा का नंबर तीन माना जाता था और लाहौर में लश्कर-ए-तैयबा के एक सुरक्षित ठिकाने पर 2002 में हुए छापे का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि हमने लश्कर-ए-तैयबा के तीन लड़ाकों को पकड़ा, जिनके पास अल-कायदा प्रशिक्षण पुस्तिका की एक प्रति थी। यह पहली बार था जब हम पाकिस्तानी सरकार को अल-कायदा से जोड़ पाए।

अमेरिका ने पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की?

अमेरिका ने पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की इस सवाल के जवाब में करियाको ने कहा कि यह व्हाइट हाउस में लिया गया फैसला था। यह रिश्ता भारत, पाकिस्तान से कहीं बड़ा है। उस समय हमें पाकिस्तानियों की जरूरत उनसे ज्यादा थी जितनी उन्हें हमारी थी।”

सऊदी सेना पाकिस्तानी

अमेरिका-सऊदी संबंधों पर उन्होंने कहा कि सऊदी अरब में हमारी विदेश नीति वास्तव में उतनी ही सरल है जितनी कि हम उनका तेल खरीदते हैं और वे हमारे हथियार खरीदते हैं। उन्होंने बताया कि एक सऊदी गार्ड ने उनसे कहा था, “तुम किराए के नौकर हो। हमने तुम्हें यहाँ आने और हमारी रक्षा करने के लिए पैसे दिए हैं। हम दोस्त नहीं हैं।” उन्होंने सऊदी अरब के पाकिस्तान के साथ संबंधों के बारे में भी बात की और कहा कि लगभग पूरी सऊदी सेना पाकिस्तानी है। जमीन पर सऊदी अरब की रक्षा पाकिस्तानी ही करते हैं।

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