समान नागरिक संहिता के लिए नियमावली बनाने को लेकर गठित समिति की रिपोर्ट मिलते ही इसे इस साल अक्तूबर से लागू कर दिया जाएगा। यह कहना है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का। उन्होंने यह बात नई दिल्ली में म्येरू पहाड़ फाउंडेशन की ओर से अपने अभिनंदन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने कहा, उत्तराखंड में सरकार ने समान नागरिक संहिता पर देवभूमि की सवा करोड़ जनता से किए गए अपने वादे को निभाया। महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह कानून मील का पत्थर साबित होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, हमने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश की जनता से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था। प्रदेश की जनता ने हमें इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए अपना आशीर्वाद देकर फिर से सरकार बनाने का मौका दिया। हमने पहली कैबिनेट में समान नागरिक संहिता के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया और 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की।
समिति को विभिन्न माध्यमों से लगभग 2.33 लाख सुझाव मिले। समिति ने उनका रिकॉर्ड समय में विश्लेषण कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट दो फरवरी 2024 को सरकार को सौंपी। 7 फरवरी को इसे विधान सभा से पारित किए जाने के बाद 11 जुलाई को राष्ट्रपति ने इसे अपनी स्वीकृति दी। मुख्यमंत्री ने कहा, इसकी नियमावली बनाने के लिए समिति का गठन किया गया है।
समान नागरिक संहिता समाज के विभिन्न वर्गों, विशेष रूप से माताओं-बहनों और बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने में सहायक होगी। अब समय आ गया है कि महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों को रोका जाए। हमारी माताओं-बहन-बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त किया जाए। हमारी आधी आबादी को सच्चे अर्थों में बराबरी का दर्जा देकर हमारी मातृशक्ति को संपूर्ण न्याय दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा, सरकार ने अब तक पांच हजार हेक्टेयर भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया है। राज्य में देश का सबसे कठोर “नकल विरोधी कानून बनाया गया है। समारोह में फाउण्डेशन के अध्यक्ष प्रो. दयाल सिंह पंवार, एडवोकेट सतीश टम्टा, पूर्व आईएएस कुलानंद जोशी, देवेन्द्र जोशी, आपदा प्रबंधन सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष विनय रोहिला, प्रो ललिता गांधी, डॉ धर्मा रावत आदि उपस्थित रहे।