
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मंगलवार को कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से कुछ अजनबी लोग राज्य में आ आ रहे हैं। अगर वे अपनी सीमाएं पार करते हैं तो उन्हें गिरफ्तार कर लिए जाएंगे। मुख्यमंत्री सोमवार रात गौहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जीएमसीएच) पहुंचे थे, जहां एक नवजात शिशु की मौत के बाद उन्होंने मीडिया से बात की।
उन्होंने बताया कि ये लोग मुंबई और केरल आए वकील हैं। हम इन लोगों पर नजर रख रहे हैं। जब राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) अपडेट किया जा रहा था, तब ये लोग आए थे और इन्होंने पूरी प्रक्रिया खराब कर दी थी। उस वक्त सरकार ने इनकी गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन अब हम हर एक पर नजर रख रहे हैं। अगर वे नियमों की सीमाएं पार करेंगे, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, हम किसी भी चरमपंथी गतिविधि या संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति बर्दाश्त नहीं करेंगे, चाहे वे केरल, मुंबई या दिल्ली से ही क्यों न आए हों। ये चरमपंथी लोग हैं, जो कुछ खास समूहों की गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं और उनका बचाव करते हैं।
सोमवार सुबह जीएमसीएफ के नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एआईसीयू) में एक चार दिन के शिशु की मौत हो गई। वह एक मेडिकल उपकरण की तारों से लटका पाया गया। शिशु के परिवार ने ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने इसे लापरवाही का मामता बताते हुए कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए जांच समिति बनाई गई है। इसी दौरान उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एनआरसी की प्रक्रिया के दौरान कुछ लोगों ने जानबूझकरक फर्जी दस्तावेज तैयार किए। उन्होंने कहा कि समान नामों का फायदा उठाकर ऐसे लोगों के नाम सूची में डलवाए गए, जो इसके हकदार नहीं थे। उन्होंने कहा कि जिन लोगों के नाम पहले से सूची में थे, उनके फर्जी रिश्तेदारों को जोड़ने का काम कुछ लोगों की योजना से हुआ, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर जैसे नाम शामिल हैं।
सरमा ने कहा कि बीते पांच वर्षों में ऐसी कई अनियमितताएं सामने आई हैं और अब सरकार इन्हें सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखने के लिए तैयार है। मुख्यमंत्री ने बताया कि हाल ही में उरियमघाट में सबसे बड़ी अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान बीबीसी की एक टीम वहां आई थी, लेकिन उन्हें जंगल क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने कहा, हमने पहले स्पष्ट कर दिया था कि जंगल क्षेत्र में प्रवेश के लिए पहले अनुमति लेनी होगी। इस बार हम साहसिक कदम उठा रहे हैं और किसी को भी इन मुद्दों का फायदा नहीं उठाने देंगे।