2050 तक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा भारत…

इंडिया फाउंडेशन द्वारा “फ्यूचर वॉच: द इमर्जिंग वर्ल्ड ऑर्डर” आयोजित कार्यक्रम में नोबेल शांति पुरस्कार समिति के उप नेता असले टोजे (Asle Toje) शामिल हुए थे। यह कार्यक्रम दिल्ली में हुआ था।

इस कार्यक्रम के दौरान असले टोजे ने कहा कि वर्ष 2050 तक भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

इस मुकाम को हासिल करने के बाद चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनेशिया, फिलीपींस, ब्राजील और रूस का स्थान आएगा।

आपको बता दें कि असले टोजे प्रसिद्ध राजनीतिक वैज्ञानिक और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ हैं। वह विश्व में वैश्विक राजनीतिक गतिशीलता के अपने व्यावहारिक विश्लेषण के लिए जाने जाते हैं।

भारत बनेगा महाशक्ति

इस कार्यक्रम में असले टोजे ने कहा कि भारत महाशक्ति बनने के लिए तैयार है। हालांकि, भारत किस तरह महान शक्ति बनेगा इस पर विचार करना होगा।

टोजे ने कहा कि हमें विश्व में मौजूद महत्वपूर्ण क्षण विशेष रूप से वैश्विक जलवायु परिवर्तन पर नजर रखनी चाहिए। ऐसे में भारत एक सौम्य शक्ति बने और दूसरे पर अपने आदर्शों को थोपने की जगह पर दुख को कम करें और शांति को बढ़ावा दे।

टोजे ने टिप्पणी की

आपको इस देश की ताकत का अंदाजा नहीं है। आप इसे अपने जीवनकाल में देखेंगे जब हर देश से दूत दिल्ली में सहायता की गुहार लगाने आएंगे। वेदों के पाठ, इतिहास की अंतर्दृष्टि और 10,000 साल पुरानी सभ्यता से उपजी इस देश में रहने वाली सज्जनता, इसके उत्थान का मार्गदर्शन करेगी।

नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और पहले इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक राजीव कुमार ने विकास के लिए पूरी तरह से अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया।

राजीव कुमार ने कहा

हम विश्व इतिहास में एकमात्र देश हैं जिसे अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करते हुए तेजी से बढ़ने की जरूरत है। इससे पहले किसी ने ऐसा नहीं किया है। हम किसी मौजूदा मॉडल का पालन नहीं करने जा रहे हैं या विकास के किसी भी मॉडल को स्वीकार नहीं करने जा रहे हैं।

रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी दी टिप्पणी

रूस-यूक्रेन युद्ध के बारे में टोजे ने कूटनीति की विफलता पर टिप्पणी किया। उन्होंने कहा कि यह कूटनीति का संकट था। पश्चिम क्षेत्र में रूस के वैध भू-राजनीतिक हितों को पहचानने में विफल रहा। हमने रूस के हितों की अनदेखी की और रूस के चरम और अवैध आक्रमण को रोकने के लिए यूक्रेन का पर्याप्त समर्थन नहीं किया।

वह आगे कहते हैं कि हमने बहुत सारी बातचीत की, लेकिन पर्याप्त गंभीर कूटनीति नहीं की। रूसियों को यूक्रेनियों की अपने देश के लिए लड़ने की इच्छा और पश्चिम के समर्थन से शायद आश्चर्य हुआ होगा, लेकिन यह संघर्ष अंततः यूरोप को तोड़ देगा, एक वास्तविकता जिसे कोई भी स्वीकार नहीं करना चाहता।

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