30 साल से दिल्ली में दे रहे शिक्षा, अब मिलेगा खेमेंद्र सिंह को राज्य शिक्षक पुरस्कार

किताबी ज्ञान के साथ-साथ बच्चों में संस्कार व नैतिक मूल्यों का विकास करना भी जरूरी है। केवल शैक्षणिक शिक्षा ही जरूरी नहीं बल्कि बच्चों के संपूर्ण विकास पर ध्यान देना चाहिए। तीस साल से इसी सोच के साथ बच्चों को राजनीति विज्ञान का पाठ पढ़ा रहे हैं सरकारी स्कूल में कार्यरत खेमेंद्रर सिंह।

राजस्थान के अलवर के रहने वाले खेमेंद्र सिंह वर्ष 1994 से बतौर राजनीति विज्ञान शिक्षक (पीजीटी) पढ़ा रहे हैं। बच्चों को समाज के प्रति उनकी उपयोगिता को समझाना चाहते थे, इसलिए शिक्षक बन गए। अब वह निस्वार्थ भाव से बच्चों को ज्ञान देकर अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। राजस्थान से स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई पूरे करने से शुरू हुआ गुरु बनने का सफर दिल्ली आकर रूका। तीन साल पहले तक वह मोती बाग स्थित नानकपुरा सरकारी स्कूल में कार्यरत थे। खेमेंद्र बताते हैं कि वह अपनी चालीस मिनट की कक्षा में यह प्रयास करते हैं कि विषय के टॉपिक को आस-पास के वातावरण से जोड़ कर पढ़ाया जाए।

खेमेंद्र कहते हैं कि राज्य शिक्षक पुरस्कार मिलना गर्व की बात है। यह पुरस्कार उन्हें बच्चों को और बेहतर ढंग से शिक्षित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। वह दिल्ली सरकार के मेंटरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम से भी जुड़े हुए हैं। इसके तहत वह सिंगापुर मेंटरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए भी भेजे गए। वहां से प्राप्त ज्ञान को उन्होंने अपने शिक्षण में अपनाया, जिसका उन्हें, शिक्षकों व बच्चों को भी लाभ हुआ।

एक गुरु के रूप में बच्चों को बढ़ता देख होती है गर्व की अनुभूति : खेमेंद्र
वह बताते हैं कि अब तक जिन बच्चों को पढ़ाया है उनमें से कई कॉरपोरेट, मीडिया के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। बच्चों को आगे बढ़ते देख अच्छा लगता है और एक गुरू के रूप में गर्व की अनुभूति होती है। वह कहते हैं कि अभी शिक्षा रोजगार प्राप्ति का माध्यम बना हुआ है। जबकि पढ़ाया जाना इस तरह से चाहिए कि न केवल बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास हो बल्कि बच्चा समाज के प्रति अपनी उपयोगिता को भी समझे।

Show More

Related Articles

Back to top button