असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को कहा कि कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर बंद बुलाने पर राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द हो सकता है। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के खिलाफ किसी भी विरोध को सुप्रीम कोर्ट ले जाया जाना चाहिए और कानून बनने के बाद सड़कों पर प्रदर्शन करने से कोई लाभ नहीं होगा। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रत्येक को विरोध करने का अधिकार है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को कहा कि कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर बंद बुलाने पर राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द हो सकता है। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के खिलाफ किसी भी विरोध को सुप्रीम कोर्ट ले जाया जाना चाहिए और कानून बनने के बाद सड़कों पर प्रदर्शन करने से कोई लाभ नहीं होगा। वह सीएए के लागू किए जाने पर विपक्षियों और छात्र संगठनों द्वारा दी गई तीव्र आंदोलन की चेतावनी पर प्रतिक्रिया दे रहे थे।
इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रत्येक को विरोध करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि छात्र संगठनों को बंद बुलाने की अनुमति है लेकिन राज्य में गौहाटी हाईकोर्ट के बंद पर प्रतिबंध लगाने के कारण राजनीतिक दल ऐसा नहीं कर सकते हैं। हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर हम चुनाव आयोग जाएंगे।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ही अब कानून को रद्द कर सकती है। ऐसे में सीएए का विरोध करने वालों को अपने विचार शीर्ष अदालत के समक्ष रखने चाहिए। उन्होंने कहा कि कानून पारित होने से पहले आंदोलन करना चाहिए था। अब तो नियम अधिसूचित करने का मामला है, जो सरकार की बाध्यता है।