बुजुर्गों के साथ युवाओं में बढ़ रहे पार्किंसंस रोग के इलाज के लिए मधुमेह की दवाई का ट्रायल जल्द दिल्ली के अस्पतालों में होगा। विश्व स्तर पर मधुमेह के लिए इस्तेमाल होने वाली जीएलपी-1 दवा का ट्रायल पार्किंसंस रोग पर हुआ था। ट्रायल के दौरान परिणाम बेहतर पाए गए हैं। इसे देखते हुए दिल्ली के विशेष अस्पताल भी ट्रायल करने की दिशा में प्रकिया शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि देश में पार्किंसंस रोग तेजी से बढ़ रहा है। हर साल हजारों नए मरीज सामने आते हैं। इनमें बड़ी संख्या युवाओं की भी है।
हालांकि युवाओं में यह रोग अनुवांशिकी कारणों से है, लेकिन युवाओं में दिख रहे लक्षणों से न्यूरोलॉजिस्ट परेशान हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ साल से युवाओं में लक्षण दिखना चिंता का विषय है।
मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) के निदेशक प्रोफेसर डॉ. राजिंदर के. धमीजा ने कहा कि विश्व स्तर पर हुआ जीएलपी-1 दवा का ट्रायल पार्किंसंस रोग की रोकथाम में आशा की किरण है। इसे लेकर जल्द अस्पताल में भी ट्रायल शुरू किया जाएगा। इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। दवाओं से पार्किंसंस रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है।
पिछले कुछ साल में 40 से 45 साल के युवाओं में भी पार्किंसंस रोग दिख रहा है। जांच के दौरान इनके पीछे अनुवांशिकी कारण के अलावा मैग्नीज मेटल व दूसरे तत्व पाए गए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि दवाओं की मदद से पांच से छह साल तक स्थिति बेहतर रहती है। उसके बाद स्थिति खराब होने की आशंका रहती है।
डोपामाइन के कम होने से बढ़ती है समस्या
डॉ. धमीजा के अनुसार, पार्किंसंस के कई लक्षण न्यूरॉन्स की हानि के कारण होते हैं, जो मस्तिष्क में डोपामाइन नामक एक रासायनिक संदेशवाहक का उत्पादन करते हैं। मस्तिष्क में जब डोपामाइन का स्तर कम होता है तो पार्किंसंस रोग के लक्षण दिखाई देते हैं। मुख्य रूप से यह रोग 65 साल से अधिक उम्र के लोगों में दिखाई देता है।
क्लीनिक में हर सप्ताह आते हैं 60 मरीज
इहबास में पार्किंसंस रोग के लिए विशेष क्लीनिक चलाया जा रहा है। यहां प्रति सप्ताह 60 मरीज आते हैं। इनमें अधिकतर मरीज 65 साल से अधिक हैं। कुछ मरीजों की संख्या युवाओं की भी होती है।
देश में 10-12 लाख मरीज : विशेषज्ञों के मुताबिक, देश में प्रति एक लाख जनसंख्या में से 0.5 फीसदी लोग इससे पीड़ित हैं। अनुमान है कि देश में 10-12 लाख लोग पार्किंसंस रोग के मरीज हैं। यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है
रोग के लक्षण
- शुरुआत में मरीज के हाथ में थोड़ा सा कंपन
- धीरे-धीरे सोचने की क्षमता पर असर
- मांसपेशियों में कठोरता
- चलने फिरने के दौरान समस्या होना
- नींद सही तरीके से न आना
- लार टपकना