बसपा ने दिल्ली की सातों सीटों पर उतारे उम्मीदवार

ऐसे में आप-कांग्रेस गठबंधन व भाजपा के वोट में सेंध लगने की संभावना बढ़ गई है। बसपा लंबे समय से दिल्ली की राजनीति में सक्रिय रही है और लोकसभा, विधानसभा व नगर निगम चुनाव लड़ती रही है।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं। ऐसे में आप-कांग्रेस गठबंधन व भाजपा के वोट में सेंध लगने की संभावना बढ़ गई है। बसपा लंबे समय से दिल्ली की राजनीति में सक्रिय रही है और लोकसभा, विधानसभा व नगर निगम चुनाव लड़ती रही है।

अब लोकसभा चुनाव में दो अल्पसंख्यक चेहरों के साथ पिछड़े व एससी वर्ग के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया है। सातों सीटों पर 20-22 फीसदी मतदाता एससी हैं। चांदनी चौक, उत्तर-पूर्वी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में अल्पसंख्यक मतदाता काफी संख्या में हैं। साथ ही, राजधानी में मूलरूप से यूपी निवासी लाखों मतदाता हैं। बसपा का मुख्य फोकस इन तीनों वर्ग के मतदाताओं पर है। माना जा रहा है कि मायावती की चुनावी रैली दिल्ली में होगी तो इसका असर दलित वोटरों पर पड़ सकता है।

किस सीट से कौन प्रत्याशी
बसपा ने अल्पसंख्यक वोटरों को साधने के लिए चांदनी चौक सीट से एडवोकेट अब्दुल कलाम व दक्षिणी दिल्ली से अब्दुल बासित को उतारा है। पिछड़े वर्ग को साधने के लिए पूर्वी दिल्ली से एडवोकेट राजन पाल को टिकट दिया गया है। उत्तर पूर्वी दिल्ली से डॉ. अशोक कुमार मैदान में हैं, जो एससी वर्ग से आते हैं। इनके अलावा नई दिल्ली से सत्यप्रकाश गौतम, उत्तर पश्चिमी से विजय बौद्ध मैदान में हैं। पश्चिमी दिल्ली से विशाखा आनंद को बसपा ने प्रत्याशी बनाया है। बसपा नेताओं का भी कहना है कि चुनाव में अपने बलबूते पर उतरे हैं। अन्य पार्टी ने एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया है।

वर्ष 2019 में हुई थी जमानत जब्त
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने पूर्वी दिल्ली, उत्तर-पूर्वी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली, चांदनी चौक और पश्चिमी दिल्ली सीट से उम्मीदवार उतारे थे। हालांकि, सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी। बसपा प्रत्याशी को सबसे ज्यादा वोट 2.6 प्रतिशत उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट पर मिले थे। बसपा उम्मीदवारों की वर्ष 2014 में सातों सीटों पर जमानत जब्त हुई थी। इस चुनाव में बसपा को उत्तर-पूर्वी सीट पर 2.1 प्रतिशत वोट मिले थे।

वहीं, वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में बसपा के तीन विधायक चुने गए थे, लेकिन 2013 के चुनाव में बुरी तरह हार मिली थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा 1.48 प्रतिशत, 2009 के चुनाव में 5.34 प्रतिशत व 2004 के चुनाव में 1.2 प्रतिशत ही कुल मतदान हासिल कर पाई। लोकसभा चुनाव में अभी तक बसपा का खाता तक नहीं खुला है।

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