गाजा में एक और इजरायली बंधक की मौत, तेल अवीव में लोगों का फूटा गुस्सा

गाजा में बीते करीब सात महीने से हमास के बंधक बने 49 वर्षीय डिरोर ओर की मौत हो गई है। उनकी मौत का कारण स्पष्ट नहीं किया गया है। इजरायल से सात अक्टूबर, 2023 को अगवा कर बंधक बनाए लोगों में यह 38वें व्यक्ति की मौत है।

हमास ने इजरायली शहरों से करीब 250 लोगों का अपहरण किया था जिनमें से 105 को हफ्ते भर के युद्धविराम में नवंबर में रिहा किया गया था, शेष अभी हमास के कब्जे में हैं। इन बंधकों की रिहाई के लिए ही गाजा में युद्धविराम पर हमास के साथ वार्ता चल रही है। डिरोर को उनके दो बच्चों के साथ इजरायल के किबुज बीरी शहर से अपहृत किया गया था।

मारे गए फलस्तीनियों की संख्या बढ़कर 35 हजार

हफ्ते भर के युद्धविराम में उनके दोनों बच्चे रिहा हो गए लेकिन वह बंधक बने रहे थे। बंधक की मौत पर गुस्सा जताने के लिए दर्जनों लोगों ने तेल अवीव स्थित इजरायली सेना के मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया है। वैसे बंधकों की रिहाई के लिए समझौता करने को इजरायल में पिछले कई महीनों से लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। इस बीच गाजा पट्टी में इजरायली हमले जारी हैं और इन हमलों में मारे गए फलस्तीनियों की संख्या बढ़कर 35 हजार के करीब पहुंच गई है।

गाजा पट्टी में इजरायली हमलों से व्यापक स्तर पर बर्बादी हुई

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि गाजा पट्टी में इजरायली हमलों से जितने व्यापक स्तर पर बर्बादी हुई है उतनी द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद कभी नहीं हुई। गाजा को पूर्व स्थिति में आने में दशकों लग सकते हैं। गाजा के रफाह शहर पर इजरायली सेना की जमीनी कार्रवाई पर अमेरिका के रक्षा मंत्री लायड आस्टिन ने कहा है कि उसके लिए उपयुक्त स्थितियां नहीं हैं। आस्टिन ने यह बात अपने इजरायली समकक्ष से टेलीफोन पर वार्ता के बाद कही है। विदित हो कि रफाह में करीब 14 लाख बेघर फलस्तीनी शरण लिए हुए हैं। इजरायल का कहना है कि इन फलस्तीनियों के बीच हमास के लड़ाके छिपे हुए हैं जिन्हें खत्म करना जरूरी है।

रूस को भुगतने होंगे साइबर जासूसी के परिणाम: जर्मनी

जर्मनी के शीर्ष राजनयिक ने शुक्रवार को कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन की प्रमुख पार्टी सहित घरेलू लक्ष्यों की है¨कग के लिए रूस को परिणाम भुगतने होंगे। नाटो और यूरोपीय संघ के सदस्य देशों ने भी कहा कि वे रूस के दुर्भावनापूर्ण साइबर हमले का हर हाल में जवाब देंगे। जर्मनी द्वारा यूक्रेन को सैन्य समर्थन दिए जाने के कारण पहले से ही रूस और जर्मनी के संबंधों में तनाव है।

बताया जा रहा है कि रूस की खुफिया इकाई ने मार्च 2022 की शुरुआत से जर्मनी में हैकिंग शुरू कर दी थी और कई संस्थानों को निशाना बनाया। जर्मनी के विदेश मंत्री विदेश मंत्री एनालेना बेयरबाक ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी सोशल डेमोक्रेट्स के ईमेल की हैकिंग के पीछे रूस के हैकर्स का हाथ था। उन्होंने हैकिंग के के लिए रूस की जीआरयू सैन्य खुफिया इकाई को जिम्मेदार ठहराया।

माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक के माध्यम हैकिंग को अंजाम दिया

उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से असहनीय और अस्वीकार्य है और रूस को इसके परिणाम भुगतने होंगे। यूरोपीय संघ की परिषद और चेक के विदेश मंत्रालय ने कहा कि चेक गणराज्य के संस्थानों को भी उसी समूह द्वारा निशाना बनाया गया है। जर्मनी और चेक दोनों क अधिकारियों ने कहा कि जीआरयू हैकर्स ने माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक के माध्यम हैकिंग को अंजाम दिया।

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