पैनिक से प्रॉफिट बनाने का हुनर सीख लिया, तो बन जाएंगे शेयर मार्केट के सफल निवेशक

इक्विटी मार्केट में हर तेज गिरावट को खरीदारी का मौका, सीखने का अनुभव या दोनों कहना एक घिसा-पिटा मजाक है। जब भी बाजार अचानक और तेजी से गिरता है तो मैं हर बार यही करता हूं। हालांकि, ऐसा मैं पूरी ईमानदारी से कहता हूं क्योंकि, कुछ दशकों के निवेश के बाद, मैं सच में इस पर विश्वास करता हूं। हर बार जब बाजार में तेज गिरावट आती है, तो आप एक बेहतर निवेशक के रूप में इससे उबरकर बाहर निकलेंगे। और अगर आप शांत रहे, तो कुछ अच्छा निवेश कर पाएंगे।

निवेश में इसके कारण सबसे पुराने हैं। असल बात ये है कि घबराने और डर के चलते जल्दबाजी में फैसले लेने की इच्छा को रोक कर रखें। एक लंबे समय का नजरिया बनाए रखें और जिन कंपनियों में आपने निवेश किया है, उनके बुनियादी पैमानों को देखें। अक्सर, सबसे अच्छा खरीदारी का मौका तब आता है जब सब एक साथ अंधाधुंध तरीके से बेच रहे होते हैं। जब दूसरे लोग डरे हुए होते हैं, तब धारा के विपरीत जाकर खरीदारी करने से आप बाजारों की वापसी के समय संभावित मुनाफे के लिए खुद को तैयार कर सकते हैं।

हालांकि, ऐसा कहना जितना आसान है, करना उतना ही मुश्किल है। चार जून को जब सेंसेक्स एक समय नौ प्रतिशत नीचे था, तो शायद ही कोई निवेशक स्टॉक खरीदने की हिम्मत कर रहा था। इसके बावजूद, निवेशकों की अलग-अलग कैटेगरी थीं। कुछ ऐसे थे जो चिंतित थे और कुछ ऐसे थे जो बिल्कुल अंधेरे में पैनिक से भरे हुए थे। चिंतित निवेशकों को शायद पेट में गांठ महसूस हुई होगी, लेकिन वे अपने रास्ते पर डटे रहे। शायद उन्होंने और शेयर भी खरीदे।

दूसरी ओर, घबराए हुए निवेशकों ने शायद पैनिक में बिकवाली की, जिससे उन्हें घाटा हुआ। ये अंतर महत्वपूर्ण है, क्योंकि अक्सर यही निर्धारित करता है कि बाजार में सुधार होने पर आखिरकार किसे फायदा होगा। याद रखें, इतिहास ने बार-बार दिखाया है कि जो लोग मंदी के दौर में धीरज बनाए रखते हैं, वे अक्सर आगे निकल जाते हैं। बुनियादी विश्लेषण पर आधारित, समझदारी से किया गया निवेश बाजार की सनक पर सट्टा लगाने के मुकाबले तूफान का सामना बेहतर तरीके से करता है। चिंतित केवल वही लोग थे जिन्होंने समझदारी से निवेश किया था और अपने निवेश के पीछे के तर्क को समझा था। जबकि घबराए हुए लोग वो थे जो केवल अफवाहों और क्षण पर दांव लगा रहे थे।

एक खूबी जो हमेशा दो तरह के निवेशकों को अलग करती है, वे उनके निवेश के विकल्पों की सरलता है। स्टॉक के साथ-साथ म्यूचुअल फंड, ऐसे निवेश हैं जिन्हें समझना आसान है और जिनका निवेश साफ-स्पष्ट होता है। हालांकि, सरलता की बात करना आसान है और उसे अमल में लाना मुश्किल। हम ऐसे माहौल में रहते हैं जहां जटिलता और विशेषताओं की पूजा की जाती है। हम चाहे कोई भी प्रोडक्ट या सर्विस खरीदें, हम अक्सर विशेषताओं, शब्दजाल और जटिलता से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

शायद हमारी आधुनिक तकनीकी दुनिया ने हमें ये मानने के लिए तैयार कर दिया है कि नए तकनीकी चमत्कार एक आम आदमी के समझने के लिए बहुत जटिल हैं। इसलिए, जटिलता क्वालिटी के बराबर है। हालांकि, पर्सनल फाइनेंस ये धारणा खतरनाक तौर पर गुमराह करने वाली है। जब निवेश की बात आती है, तो सरलता केवल फायदेमंद नहीं होती है। ये जरूरी भी है। इसका कारण सीधा है। अगर कोई निवेशक किसी वित्तीय उत्पाद या सेवा को पूरी तरह से नहीं समझता है, तो वे ये तय नहीं कर सकते कि ये सही भी है या नहीं, चाहे बेचने वाले ने इसकी खूबियों के कितने ही पुल बांधें हों।

जब मैं बचत और निवेश के प्रोडक्ट्स के लिए आज के बाजार और लोगों के पोर्टफोलियो देखता हूं, तो साफ हो जाता है कि अपने आप को लेकर जागरूक होने की तुरंत जरूरत है।

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