जिस तरह देश की आजादी आसान नहीं रही ठीक उसी तरह शेयर बाजार का सफर भी आसान नहीं रहा। एक छोटे से भारत में बरगद के पेड़ के नीचे शेयर बाजार की शुरुआत हुई थी।
भारतीय शेयर बाजार का इतिहास काफी पुराना है। वैसे तो भारतीय शेयर बाजार में कई स्टॉक एक्सचेंज शामिल हैं, लेकिन आज हम बात बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की करेंगे।
आज से ठीक 149 साल पहले बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) की स्थापना हुई थी। जिसे अब सेंसेक्स (Sensex) के नाम से भी जाना जाता है।
आज के समय में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) एशिया में तेजी से बढ़ने वाला स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) है। ये ग्लोबल शेयर मार्केट में चौथे स्थान तक पहुंच गया है। वहीं, मार्केट कैपिटलाइजेशन के मुताबिक बीएसई दुनिया का 11वां सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है।
आज आपको इस लेख में सेंसेक्स के इतिहास के बारे में विस्तार से बताएंगे।
सेंसेक्स का इतिहास
माना जाता है कि वर्ष 1850 में सेंसेक्स की शुरुआत बरगद के पेड़ के नीचे हुई थी। इस पेड़ के नीचे चार गुजराती और एक पारसी ने ट्रेडिंग शुरू की और बाद में कारोबारियों की संख्या बढ़ने लगी। मुंबई के चर्चगेट इलाके में हार्निमन सर्कल के टाउनहॉल के पास यह पेड़ था। यहीं पर सभी दलाल इकट्ठे होते थे और शेयर की खरीद-बिक्री करते थे।
साल 1855 में जब दलालों की संख्या बढ़ने लगी तब एक ऑफिस खरीदा गया, जिसे अभी ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज’ के नाम से जानते हैं। समय के साथ दलालों की संख्या बढ़ गई और मेडोज स्ट्रीट और एमजी रोड को दलाल स्ट्रीट (Dalal Street) कहने लगे। आपको बता दें कि अब इस रोड को दलाल स्ट्रीट ही कहते हैं।
वर्ष 1975 में द नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोशियसन की स्थापना की गई। इसे आधिकारीक तौर पर शेयर बाजार (Share Market) की शुरुआत माना जाता है। इस समय 318 लोगों ने 1 रुपये की एंट्री फीस के साथ इस संगठन का गठन किया था।
कारोबारी प्रेमचंद रायचंद जैन को बीएसई का जनक बॉम्बे के कॉटन किंग के नाम से जाना जाता है। देश की आजादी के ठीक 10 साल बाद यानी वर्ष 1957 में भारत सरकार ने सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन एक्ट के तहत बीएसई को मान्यता दी थी। इसके बाद अधिकारिक तौर पर BSE Sensex शुरू हुआ।
आपको बता दें कि BSE Sensex का बेस ईयर 1978-79 और बेस प्वाइंट 100 अंक है। आज बीएसई सेंसेक्स 80,000 अंक तक पहुंच गया।
बाजार ने कब-कब छुई नई ऊंचाइयां
- 1992 में सेंसेक्स ने 300 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की थी। यह बिग बुल कहे जाने वाले हर्षद मेहता का समय था। हर्षद मेहता द्वारा जारी खरीदारी ने बाजार को बढ़त हासिल करने में मदद की। हालांकि, यह तेजी ज्यादा समय तक नहीं रही। जैसे ही हर्षद मेहता के घोटाले का पता चला वैसे ही सेंसेक्स के साथ बाकी स्टॉक एक्सचेंद में भारी गिरावट आई।
- वर्ष 2014 में बीएसई का एम-कैप पहली बार 100 लाख करोड़ के पार पहुंच गया था। ऐसे में सेंसेक्स ने एक मील का पत्थर हासिल किया था।
- जून 2021 में एक बार फिर से बाजार में तेजी आई और बीएसई का बाजार पूंजीकरण 7 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया।
- बाजार में दिसंबर 2023 में भी तेजी आई थी। इस तेजी के बाद बीएसई का एम-कैप 4 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंच गया।