उत्तर प्रदेश के बहराइच समेत कई जिलों में भेड़िए, तेंदुए, सियार जैसे जंगली जानवरों का आतंक थमने का नाम ही नहीं ले रहा। करीब दो महीनों से वन विभाग इन जानवरों को पकड़ने की कोशिश कर रहा है। विभाग ने अभी तक सिर्फ पांच भेड़ियों को पकड़ा है। इसके साथ ही अब गुत्थी भी उलझती जा रही है, कि जितने भी हमले हो रहे हैं वह भेड़िए ही कर रहा है या सियार, डॉग या अन्य जानवर कर रहा है। इस गुत्थी सुलझाने के लिए भी वन विभाग कसरत कर रहा है। विभाग ने भेड़ियों के आतंक से निजात पाने के लिए एक नया तरीका अपनाया है।
वन्यजीव के सलाइवा की होगी जांच
बता दें कि अब बहराइच में भेड़ियों के आतंक से निजात दिलाने के लिए वन विभाग और प्रशासन हर तरीका अपनाया है। विभाग अब हमला किस जानवर ने किया इसका पता लगाने के लिए जांच के अन्य तरीके के बाद अब हमला करने वाले वन्यजीव के सलाइवा यानी लार की डीएनए जांच भी करवा रहा है। वन विभाग ने फिलहाल भेड़िए के हमले में मृत एक महिला के शरीर से सैंपल लेकर देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया को भेजा है। इसकी रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा कि किस जानवर ने हमला किया है।
50 गांवों में फैली भेड़ियों की दहशत
गौरतलब है कि बहराइच के महसी तहसील अंतर्गत घाघरा नदी के कछार में स्थित 50 गांवों के हजारों नागरिक भेड़ियों के हमलों से दहशत में हैं। पिछली 17 जुलाई से इन जानवरों के हमले में सात बच्चों सहित आठ लोगों की मौत हो चुकी है जबकि करीब 36 लोग भेड़िए अथवा अन्य जानवरों के हमलों से घायल हुए हैं। इन गांवों में दहशत का आलम यह है कि महिलाएं अपने छोटे बच्चों को अपने शरीर के साथ साड़ी से बांधकर सो रही हैं, वहीं पुरुष रात रात भर जागकर पहरा दे रहे हैं। वन विभाग के 165 लोग, 18 शार्प शूटर, सैकड़ों की संख्या में पुलिस व पीएसी जवान, राजस्व तथा अन्य विभागों के कर्मी, ग्रामीणों की टीम दिन रात मुस्तैद रहकर भेड़िए को पकड़ने के अभियान में जुटी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं कि अगर आखरी आदमखोर भेड़िया पकड़ा ना जा सके और वह हमलावर होता दिखे तो अंतिम विकल्प के तौर पर उसे ‘‘गोली मार दी जाए”। उन्होंने समस्या के समाधान तक अभियान जारी रखने के आदेश दिए थे।