शहबाज शरीफ से मिले विदेश मंत्री एस जयशंकर

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को इस्लामाबाद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रात्रिभोज स्थल पर पाकिस्तानी प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात की। एक वीडियो में शरीफ को जयशंकर का स्वागत करते और उनसे हाथ मिलाते हुए दिखाया गया है। कार्यक्रम स्थल पर दोनों नेताओं को बातचीत करते देखा जा सकता है।

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर मंगलवार को एससीओ परिषद के शासनाध्यक्षों की 23वीं बैठक में भाग लेने के लिए पाकिस्तान पहुंचे हैं। यह दूसरी बार बने विदेश मंत्री के रूप में पहली पाकिस्तान की यात्रा है।

जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तानी राजधानी इस्लामाबाद में उतरे। वह दोपहर करीब साढ़े तीन बजे (स्थानीय समयानुसार) पाकिस्तानी राजधानी के बाहरी इलाके में नूर खान एयरबेस पर उतरे और वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारियों ने उनका स्वागत किया।

9 साल बाद कोई भारतीय विदेश मंत्री पहुंचा पाकिस्तान

लगभग 9 सालों में यह पहली बार है कि भारत के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान की यात्रा की। बता दें कि कश्मीर मुद्दे और पाकिस्तान से होने वाले सीमा पार आतंकवाद को लेकर दोनों पड़ोसियों के बीच संबंध खराब बने हुए हैं।

2015 में सुषमा स्वराज गई थी पाकिस्तान

पाकिस्तान जाने वाली आखिरी भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज थीं। वह अफगानिस्तान पर एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए दिसंबर 2015 में इस्लामाबाद गई थीं। पाकिस्तान 15 और 16 अक्टूबर को दो दिवसीय एससीओ काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (सीएचजी) शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा, ‘एससीओ सीएचजी बैठक सालाना आयोजित की जाती है और संगठन के व्यापार और आर्थिक एजेंडे पर केंद्रित होती है।’ नई दिल्ली में एक संक्षिप्त बयान में कहा गया, ‘विदेश मंत्री एस जयशंकर बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। भारत एससीओ प्रारूप में सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है, जिसमें एससीओ ढांचे के अंदर विभिन्न तंत्र और पहल शामिल हैं।’

‘पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध रखना चाहेगा भारत’

जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे नई दिल्ली की ओर से एक महत्वपूर्ण निर्णय के रूप में देखा जा रहा है। एक कार्यक्रम में अपने हालिया संबोधन में, जयशंकर ने कहा, ”किसी भी पड़ोसी की तरह, भारत निश्चित रूप से पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध रखना चाहेगा।’ लेकिन सीमा पार आतंकवाद को नजरअंदाज करने और इच्छाधारी सोच में लिप्त रहने से ऐसा नहीं हो सकता।”

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