कुछ फिल्मों में चोरी की एक कहानी होती है, किंतु कुछ फिल्में चोर के किरदार पर आधारित होती हैं। ऐसी ही एक कहानी है “सिकंदर का मुकद्दर”। यह कहानी चोरी से काफी आगे तक जाती है। इसमें इन्वेस्टिगेशन है, थ्रिलर और सस्पेंस का भी भरपूर संगम है। ‘सिकंदर का मुकद्दर’ में तमन्ना भाटिया और अविनाश तिवारी मुख्य किरदार के तौर पर नजर आएंगे। इस फिल्म को 29 नवंबर 2024 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज किया जाएगा।
हाल ही में जागरण संवाददाता ने दोनों कलाकारों से बातचीत की। इस दौरान दोनों ने इस फिल्म के साथ सिनेमा-ओटीटी और लखनऊ पर बहुत सारी बातें कीं।
फिल्म के नाम को लेकर तमन्ना ने क्या कहा?
तमन्ना से सवाल किया गया कि साल 1978 में अमिताभ बच्चन की फिल्म आई थी ‘मुकद्दर का सिकंदर’। आपकी फिल्म है ‘सिकंदर का मुकद्दर’। क्या नाम के साथ इसकी कहानी भी उल्टी है? इस पर जवाब देते हुए तमन्ना बोलीं,’वह फिल्म अलग थी और यह अलग है। जब यह फिल्म देखेंगे तो इसका टाइटल समझ जाएंगे। सिकंदर अविनाश के किरदार का नाम है।’
क्या है फिल्म की कहानी?
फिल्म की कहानी 60 करोड़ के हीरे की चोरी पर आधारित है। इस पर बात करते हुए तमन्ना ने बताया कि फिल्म आपको चोरी से आगे की यात्रा कराएगी। इसकी कहानी ऐसी है कि जब इसे देखना शुरू करेंगे तो खत्म करने से पहले उठ नहीं पाएंगे।
ओटीटी पर आप क्या देखना पसंद करती हैं?
तमन्ना ने कहा कि मेरी एक आदत है। एक दर्शक के रूप में कहूं तो जब मैं खाना खाने बैठती हूं तो ओवर द टाप (ओटीटी) पर फिल्में देखती हूं। अगर फिल्म पसंद आई तो फिर पूरी देख लेती हूं। नहीं पसंद आई तो 15-20 मिनट बाद बंद कर देती हूं।
किस भाषा की फिल्म में अधिक रुचि है?
तमन्ना ने तमिल, तेलुगू और हिंदी सहित कई भाषाओं की फिल्मों में काम किया है। उन्होंने कहा, मैंने साउथ की फिल्मों में भी काम किया है। शायद इसीलिए तमिल और तेलुगु सीख पाई। हां, हिंदी फिल्मों में काम करने का अलग अनुभव मिला।सिनेमा में प्रदर्शित फिल्मों का एक आंकड़ा होता है कि यह फिल्म इतने करोड़ की कमाई कर चुकी है। ओटीटी पर ऐसा डेटा नहीं पता चलता।
फिल्म कितनी कमाई कर चुकी इसे कैसे देखते हैं?
अविनाश तिवारी ने कहा कि बड़ी से बड़ी फिल्में साढ़े तीन-चार हजार से अधिक सिनेमाघरों में रिलीज होती हैं। दो सप्ताह तक चल गईं तो उनका बोलबाला हो जाता है, लेकिन ओटीटी पर फिल्में दो सौ देशों में दिखाई जाती हैं। कभी-कभी सिनेमा में चलीं फिल्मों को यहीं का बंदा नहीं देख पाता है और विदेश में बैठा व्यक्ति ओटीटी पर देख लेता है। हालांकि करोड़ों के कारोबार का आंकड़ा कैसे जारी होता है, ये मुझे नहीं समझ में आया।हमारे सिनेमा को अक्सर बाहर नहीं देखा जाता, जबकि ओटीटी विदेश में लोगों को फिल्में दिखाने का बड़ा प्लेटफार्म है तो हम क्यों न दुनियाभर के लोगों को अपनी कहानियां दिखाएं। उम्मीद है अगले तीन से पांच वर्षों हमारी कहानियां और देशों में देखी जाएंगी।
लखनवी खाने को लेकर क्या कहना चाहेंगी?
जब तमन्ना को यहां के प्रसिद्ध शर्मा के समोसे-चाय, शुक्ला की चाट, बाजपेयी की कचौड़ी के साथ चौक की माखन मलाई के बारे में बताया गया तो बोलीं मैं अवश्य इन सबका स्वाद लूंगी। सुबह चौक घूमने जाऊंगी तो माखन मलाई भी खाऊंगी।