
सनातन धर्म में ज्येष्ठ माह को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस माह में पड़ने वाली निर्जला एकादशी सभी एकादशी तिथियों में खास मानी जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन विधिपूर्वक व्रत करने से साधक को जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है और पापों से छुटकारा मिलता है। निर्जला एकादशी व्रत के दौरान अन्न और जल का त्याग किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि निर्जला एकादशी क्यों मनाई जाती है? अगर नहीं पता, तो ऐसे में आइए जानते हैं इसकी वजह के बारे में।
निर्जला एकादशी 2025 डेट शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 6 जून को रात 2 बजकर 15 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर तिथि खत्म होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है। ऐसे में 6 जून को निर्जला एकादशी व्रत किया जाएगा।
निर्जला एकादशी 2025 व्रत पारण टाइम
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर किया जाता है। ऐसे में निर्जला एकादशी व्रत का पारण 7 जून को किया जाएगा। इस दिन व्रत का पारण करने का समय दोपहर 1 बजकर 44 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 31 मिनट तक है।
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से 03 बजकर 35 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 36 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात 12 बजे से 07 जून को रात 12 बजकर 40 मिनट तक
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भीमसेन ने वेद व्यास जी से पूछा की कि ऐसा कोई मार्ग बताए की, जिससे स्वर्ग की प्राप्ति हो। वेद व्यास जी ने भीमसेन को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी व्रत करने की सलाह दी। इसके बाद भीमसेन ने विधिपूर्वक निर्जला एकादशी व्रत किया। व्रत के दौरान जल और अन्न का त्याग किया। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से साधक को सभी पापों से छुटकारा मिलता है। सभी एकादशियों के व्रत की शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसी वजह से निर्जला एकादशी व्रत किया जाता है।