कल के होशंगाबाद और आज के नर्मदापुरम में कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुनसिंह को चुनाव में हार का स्वाद चखाकर उन्होंने पूरे देश में सुर्खियां बटोररी थी। पांच बार सांसद रहे और दो बार विधायक। पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो नाराज भी हुए, पार्टी छोड़ीमगर बाद में वापस आ गए। हम बात कर रहेहैं पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सरताज सिंह की। हाल ही मेंउनका निधन हुआ है। 1998 के चुनाव में पूरे प्रदेश की निगाहें होशंगाबाद पर थी क्योंकि यहां सरताजसिंह का पाला कांग्रेस चाणक्य कहे जाने वाले अर्जुनङ्क्षसह से पड़ा था।
जब परिणाम आए तो बातें जितनी सरताजसिंह की जीत की रही उससे ज्यादा अर्जुनसिंह की हार को लेकर रहीं। अर्जुनसिंह के अलावा उन्होंने कांग्रेस नेता रामेश्वर नीखरा को भी चुनाव मैदान में मात दी। वे 1989 से लेकर 1999 तकलगातार चार बार सांसद रहे। 1999 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़े मगर, 2004 में एक बार फिर लोकसभा का चुनाव लड़े और जीते थे। साल 2018 में भाजपा ने सरताज सिंह को विधानसभा चुनाव का टिकट देने से इनकार कर दिया। ऐसे में उन्होंने भाजपा का दामन छोड़ कांग्रेस की सदस्यता ली और चुनाव लड़ा। हालांकि वह चुनाव हार गए और बाद में वह भाजपा में वापस लौट आए। भाजपा के सबसे पुराने नेताओं में से एक सरताज सिंह चुनावी राजनीति में अजेय माने जाते थे।
69वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह2023 विजेताओं
— Ek Sandesh (@EkSandesh236986) October 17, 2023
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भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद सरताज सिंह का परिवार इटारसी आकर बस गया था। 1960 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रजुएशन किया। इसके बाद वे विष्णु कामथ के संपर्क में आए और उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा। 1971 में सरताज सिंह इटारसी नगर पालिका के कार्यवाहक नगर पालिका अध्यख बने। वे अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार में केंद्रीय मंत्रीरहे। 2008 से 201 तक मप्र सरकार में मंत्री रहे। केंद्र में एक बार स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। 26 मई 1940 को जन्मे सरताज सिंह का गत 12 अक्टूबर को निधन हो गया।